Ratlam News: रतलाम जिले में जमीन खरीदारों को तंग करने वाले अफसरों पर  गिरी गाज, उपयुक्त ने दी चेतावनी

Saroj Kanwar
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Ratlam News: मध्यप्रदेश राज्य के रतलाम जिले के जावरा क्षेत्र में हाउसिंग बोर्ड उज्जैन के उपायुक्त यशवंत कुमार डोडिया ने लंबित नामांतरण के एक मामले में विभाग के अफसरों और बाबुओं को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि प्लॉट और भवन खरीददारों को बेवजह परेशान नहीं किया जाए। साथ ही कहा कि मंडल की छवि धूमिल नहीं होनी चाहिए।

बोर्ड उपायुक्त उज्जैन ने यह चेतावनी और हिदायत मंदसौर में नामांतरण के लंबित प्रकरण को लेकर दी है। मंदसौर निवासी लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने जनता कॉलोनी स्थित अपने ईडब्ल्यूएस भवन को 9 अक्टूबर 2019 को बेटी वंदना गुप्ता को दान किया था। इसकी रजिस्ट्री भी करवाई थी। इसके बाद नामांतरण के लिए मंडल में आवेदन किया। नामांतरण के साथ ही गुप्ता ने संयुक्त अभिवचन पत्र भी दिया था। इस पर गुप्ता के परिजनों ने आपत्ति जताई। इस पर मामला रतलाम में संपदा अधिकारी के पास भेज दिया। यहां दस्तावेजों की जांच कर नामांतरण नहीं करते हुए इसे मंडल के अधिवक्ता के अभिमत के लिए भेज दिया गया। इससे मामला अटक गया। 

दो सप्ताह पहले हुई थी मामले की लिखित में शिकायत

वंदना गुप्ता ने इस मामले में दो सप्ताह पहले शहर आए उपायुक्त को लिखित में शिकायत की। इस पर 10 जुलाई को उज्जैन में मंडल कोर्ट में बुलाया गया। यहां उन्होंने संपदा अधिकारी को तुरंत नामांतरण के आदेश जारी किए। आदेश में लिखा है कि भारतीय संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अपनी जीवित अवस्था में अपनी संपत्ति को दान कर सकता है। संपदा अधिकारी रतलाम ने इस प्रकरण में अत्यधिक गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम किया है और संवैधानिक व्यवस्था के बाहर जाकर मंडल अधिवक्ता से एक सलाह पत्र प्राप्त कर उस सलाह पत्र के आधार पर नामांतरण की कार्रवाई ही नहीं की। जबकि संपदा अधिकारी को मंडल नियमानुसार नामांतरण की कार्रवाई करना थी। 

उपायुक्त ने नामांतरण की कार्रवाई के दिए आदेश 

दोनों पक्षों के दस्तावेजों का अध्ययन कर  उपायुक्त ने आदेश दिया कि संपदा अधिकारी रतलाम मंडल नामांतरण करने के परिपत्रों का पालन कर नामांतरण की कार्रवाई करें। वंदना पति राकेश पोरवाल के नाम नामांतरण के आदेश जारी करें। आदेश में अधीनस्थ कर्मचारियों, संपदा प्रबंधक एवं संबंधित लिपिक को कड़ी चेतावनी दी है कि नामांतरण के परिपत्रों का सूक्ष्म अवलोकन कर ही प्रकरण संपदा अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करें। जिससे भवन और प्लॉट खरीदार परेशान ना हों और मंडल की छवि धूमिल ना हो।

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