राजस्थान न्यूज़ : ड्राइविंग लाइसेंस की ट्रायल अब इंस्पेक्टर नहीं, कंप्यूटर से होगी, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए यह रहेगी पूरी प्रक्रिया

Saroj Kanwar
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ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब आरटीओ ऑफिस में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर ट्रायल देना होगा। ड्राइविंग ट्रैक पर ट्रायल के दौरान कार चलाने में दक्ष लोगों को ही लाइसेंस मिलेगा। कंप्यूटर के जरिए लोग फेल और पास हो सकेंगे। अधिकारीयों का इस सिस्टम में हस्तक्षेप नहीं होगा।

इस नए कंप्यूटराइज सिस्टम के लिए परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग ने मारुति सुजुकी कंपनी के साथ 3 साल का एमओयू किया है।

एमओयू पर विभाग की सचिव शुचि त्यागी और मारुति सुजुकी के सीएसआर (Maruti Suzuki CMR) के सीनियर वाइस(senior wise) प्रेसिडेंट तरुण अग्रवाल ने हस्ताक्षर किए। मारुति सुजुकी(Maruti Suzuki) शुरुआत में प्रदेश के 20 आरटीओ और डीटीओ में ड्राइविंग ट्रैक(driving track) के लिए सॉफ्टवेयर(software) उपलब्ध कराने और मेंटेनेंस का काम (maintenance work)करेगा। कंपनी ट्रैक(company track) पर कैमरे-सेंसर(camere sensor) और technical की नियुक्त करेगी। वहीं, ट्रैक का संचालन RTO की ओर से किया जाएगा।

परिवहन विभाग की ओर से चार साल पहले प्रदेश के 11 आरटीओ(RTO )और 2 डीटीओ(dto) में ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक(automatic driving track) के संचालन का टेंडर स्मार्ट चिप को दिया था। डेढ़ साल पहले स्मार्ट चिप का टेंडर पूरा हो गया। इसके बाद कंपनी ट्रैक छोड़कर चली गई। विभाग के पास खुद का (software)नहीं होने और स्मार्ट चिप की ओर से सॉफ्टवेयर(software) के संचालन की अनुमति नहीं देने की वजह से इन RTO -dto में ड्राइविंग ट्रैक(driving track) पर मैन्युअल ट्रायल( manual trial) की अनुमति दी गई।

लर्निंग लाइसेंस(learning licence) के बाद ऑनलाइन तारीख(online date )  लेनी होगी। तय तारीख को जगतपुरा आरटीओ (RTO)में 45 मिनट पहले पहुंचना होगा। ट्रायल से पहले 20 मिनट की क्लास अटैंड(class attend) करनी होगी। आवेदक को 4 प्रकार के ड्राइविंग टेस्ट(driving test) देने होंगे। सभी ट्रायलों पर ट्रैक पर कैमरों (camera)की नजर और मॉनिटरिंग (monitoring)रहेगी।

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