सोयाबीन से नहीं मिला फायदा, अब मक्का और मूंगफली की ओर बढ़े किसान

Saroj Kanwar
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Ratlam News: पिछले तीन साल से सोयाबीन की कीमतें लगातार कमजोर बनी हुई हैं। इस बार भी इसका भाव करीब 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल ही रहा और औसत उत्पादन भी सिर्फ ढाई से तीन क्विंटल रहा। ऐसे में किसानों को कोई खास मुनाफा नहीं हो सका। यही वजह है कि अब किसान सोयाबीन छोड़कर मक्का, मूंगफली, मूंग, उड़द और तिल जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

जावरा विकासखंड में 62 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खरीफ फसल के लिए उपयुक्त है, लेकिन कुछ किसान खेत खाली छोड़ देते हैं ताकि समय पर प्याज और लहसुन की खेती कर सकें। इस बार 57 हजार हेक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुआई हुई है। हालांकि इस बार मूंगफली का रकबा तीन गुना बढ़कर 1417 हेक्टेयर हो गया है। मक्का का रकबा 478 हेक्टेयर और मूंग-उड़द का क्षेत्र भी दोगुना बढ़ा है। खास बात ये है कि पहले लगभग बंद हो चुकी ज्वार की खेती भी फिर शुरू हुई है।

कृषि अधिकारी का कहना है कि यह बदलाव किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद रहेगा। किसानों को जहां मुनाफा मिल सकेगा, वहीं आम लोगों को दालें और मक्का जैसी फसलें सस्ते दाम पर मिल सकेंगी। किसान भी अब प्रयोग करनेलगे हैं, जैसे उपलई गांव के किसान श्यामलाल ने इस बार 5 बीघा में मक्का लगाई है, ताकि लागत के साथ मुनाफा भी निकल सके।

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