वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिगों का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। ये ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं। इनमें से चौथा ज्योतिर्लिंग है ओंकारेश्वर।
रोज रात को भगवान शिव और देवी पार्वती आते हैं
यहां रोज रात को भगवान शिव और देवी पार्वती आते हैं और चौपड़ खेलते हैं। पुजारी गर्भगृह बंद करने से पहले यहां चौपड़ रखते हैं और अगली सुबह जब मंदिर खोला जाता है तो यह चौपड़ बिखरा हुआ मिलता है।
ऐसा है मंदिर का स्वरूप
ओंकारेश्वर मंदिर 5 मंजिला है। यहां नक्काशीदार पत्थरों के करीब 60 बड़े-बड़े खंभे हैं। वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है उसे मालवा के परमार राजाओं ने बाद में मराठा राजाओं ने बनवाया है।
ये बातें भी हैं खास
जिस पर्वत पर यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है वहां ऊँ की आकृति दिखाई देती है। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर है। यहां 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं। मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले, किन्तु जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहां नहीं चढ़ाता, उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।