Land Registry: भारत में जमीन की खरीद-बिक्री केवल आर्थिक लेन-देन नहीं बल्कि एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके लिए सही दस्तावेजों का होना आवश्यक है। संपत्ति से जुड़े मामलों में धोखाधड़ी बढ़ने के कारण राज्य सरकारें अब नियमों को और सख्त बना रही हैं। भूमि पंजीकरण न केवल खरीदार और विक्रेता दोनों की सुरक्षा करता है बल्कि भविष्य में विवादों से भी बचाता है।
पहचान प्रमाण दस्तावेज की अनिवार्यताजमीन की रजिस्ट्री में सबसे पहले पहचान प्रमाण की जरूरत होती है। आधार कार्ड को कई राज्यों में पहचान और पते के प्रमाण के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं, बड़े मूल्य की संपत्ति के लिए पैन कार्ड भी जरूरी कर दिया गया है। यह कदम आयकर विभाग की निगरानी और काले धन पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।संपत्ति से जुड़े मुख्य दस्तावेजजमीन की रजिस्ट्री के लिए संपत्ति संबंधी मूल दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इनमें खसरा नंबर, खतौनी, भूमि का नक्शा और पिछले मालिकाना हक के प्रमाण शामिल हैं। इसके साथ ही खरीदार और विक्रेता के बीच का बिक्री समझौता (Sale Deed) पंजीकरण प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है।वित्तीय दायित्वों की जांचजमीन खरीदने से पहले यह देखना जरूरी है कि संपत्ति पर कोई बकाया कर या सरकारी देनदारी तो नहीं है। संपत्ति कर, भू-राजस्व और अन्य स्थानीय टैक्स की जांच करना आवश्यक है। यदि कोई बकाया है, तो उसका निपटारा पंजीकरण से पहले करना होता है ताकि खरीदार को बाद में परेशानी न झेलनी पड़े।डिजिटल रजिस्ट्री से बढ़ी पारदर्शिताकई राज्यों में भूमि पंजीकरण प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जा रहा है। अब ऑनलाइन माध्यम से दस्तावेजों की जांच, फीस का भुगतान और अपॉइंटमेंट बुकिंग संभव है। हालांकि, यह सुविधा सभी राज्यों में समान रूप से उपलब्ध नहीं है। कई जगह अब भी पारंपरिक प्रक्रिया अपनाई जाती है।धोखाधड़ी से बचने के उपायसंपत्ति खरीदते समय धोखाधड़ी से बचने के लिए फिजिकल सर्वे, दस्तावेजों की कानूनी जांच और वकील की सलाह लेना बेहद जरूरी है। संदिग्ध और बहुत सस्ते सौदों से बचें। सभी भुगतान चेक या डिजिटल माध्यम से करें और नकद लेन-देन से परहेज करें।राज्यवार अलग नियमभूमि पंजीकरण राज्य सरकार का विषय है, इसलिए स्टाम्प ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क और आवश्यक दस्तावेजों की सूची हर राज्य में अलग हो सकती है। इसलिए संपत्ति खरीदने से पहले संबंधित राज्य की पंजीकरण प्रक्रिया की जानकारी लेना जरूरी है।