ज्योतिष और भारतीय संस्कृति के कलाओं का विशेष महत्व है। यह लाल रंग का धागा होता है जिसका कलाई पर बांधा जाता है।कलावा को सुरक्षा , सौभाग्य और शुभता का सूचक माना जाता है। पूजा-पाठ, विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, त्योहार या अन्य धार्मिक अवसरों पर इसे कलाई पर बांधने की परंपरा है यह बुरी नजर ,बुरे योग और अशुभता से भी बचाता है। कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। कलावा पुराना हो जाने पर इसी बदल दिया जाता है। कई लोग कलावे पर बंधे धागे को बदल देते हैं जिससे बहुत अशुभ माना जाता है। कलावे से जुड़े कुछ खास नियम है यहां जानते इसके बारे में।
इस हाथ में बांधना चाहिए कलावा
कलावा बांधने को लेकर पुरुष और महिला दोनों के अलग अलग नियम है। महिलाओं को हमेशा अपने दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए हालांकि अगर आप शादीशुदा है जैसे बाएं हाथ बंदधना चाहिए वहीँ पुरुषों के लिए नियम इसके उल्ट है। पुरुषों को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। कलावा बांधते समय हमेशा अपने हाथ में अक्षत रखे और मुट्ठी बंद रखे ।
कलवा को सिर्फ तीन बार लपेटना चाहिए । कलावा दो तरह का होता है एक teen धागो वाला और दूसरा पांच धागो वाला। तीन धागो वाले कलावे में लाल , पीला ,हरा रंग होता है वही पांच रंग वाले में लाल ,पीला, हरा ,सफेद और नीला रंग होता है। पांच धागों वाले कलावा को पंचदेव कलावा भी कहते हैं।
कब खोलना चाहिए कलावा
जिस तरह हाथ में कलावा बांधने के नियम होते है वैसे ही कलावा खोलने के भी कुछ नियम होते है इसके बावजूद लोग कलावा खोल देते है ऐसा करना बिल्कुल भी सही नहीं माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ,कलावा खोलने के शुभ दिन मंगलवार और शनिवार ही होते हैं।इस दिन आप इसे उतारकर हाथ पर नया कलावा बांध सकते हैं। आप विषम संख्या वाले दिन भी इसे उतार सकते हैं। ध्यान रखें की ये विषम संख्या वाले दिन मंगलवार या शनिवार नहीं होना चाहिए।