चेक बाउंस को लेकर हाईकोर्ट ने दिया ये कड़क फैसला ,यहां पढ़े पूरी जानकारी

Saroj Kanwar
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आजकल लेने देन के लिएचेक का उपयोग आम बात है। लेकिन अगर चेक अगर चेक बाउंस हो जाए तो यह बड़ी परेशानी बन सकता है। चेक बाउंस के मामले में कानूनी कारवाही के तहत अपराधी को जेल तक जाना पड़ सकता है। हाल ही में हाई कोर्ट ने ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है जिसे जानना हर उस व्यक्ति के लिए जानना जरूरी है जो चेक से लेनदेन करता है।

नए नियम के अनुसार ,चेक बाउंस के मामले में पीड़ित को न्याय प्रक्रिया तेज मिलेगी और अपराधी पर शख्त कार्यवाही होगी। अगर आप भी नियमित रूप चेक का उपयोग करते हैं तो इस अपडेट की जानकारी रखना आपके लिए फायदेमंद साबित होगी ताकि किसी भी कानूनी झंझट से बचा जा सके।

चेक बाउंस क्या है जानें

अक्सर लोग बड़ी रकम का भुगतान करने के लिए चेक बाउंस का उपयोग करते हैं। जब एक व्यक्ति किसी दूसरे के चेक के माध्यम से भुगतान करता है सामने वाले व्यक्ति इस बैंक में जमा करता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि चेक देने वाले खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं होता जिससे चेक क्लियर नहीं हो पाता ऐसी स्थिति को चेक बाउंस कहा जाता है।चेक बाउंस होना न सिर्फ आर्थिक असुविधा पैदा करता है, बल्कि कानूनी झंझट भी खड़ा कर सकता है। इसलिए हमेशा यह सुनिश्चित करें कि चेक देने से पहले खाते में पर्याप्त राशि होताकि ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।

हाल ही में इलाहाबाद का कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों में जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसका सीधाअसर लोगों को पड़ेगा जो चेक के जारी लेनदेन करते हैं। मामला राजेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार का था जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चेक बाउंस से संबंधित मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे गए डिमांड नोटिस भी कानूनी रूप से पूरी तरह मान्य होंगे। फैसला इसलिए महत्वपूर्ण क्योंकि आप किसी को या गलतफहमी नहीं होनी चाहिए नोटिस केवल कागज पर आएगी। कई बार लोग कागजी नोटिस को नजरअंदाज कर देते है लेकिन अब डिजिटल माध्यम से भेजे गए नोटिस भी वेध माने जाएंगे। कोर्ट की इस निर्देश से पीड़ित पक्ष को राहत मिलेंगे नोटिस प्रक्रिया तेज हो जाएगी।

क्या चेक बाउंस मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप नोटिस होंगे मान्य जानिए
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें चेक बाउंस मामलों में ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे गए नोटिस को भी कानूनी रूप से मान्य माना जाएगा। अदालत ने यह निर्णय आईटी एक्ट और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स इंडिया पोस्ट कानून के तहत दिया है। हालांकि, इसके लिए यह शर्त रखी गई है कि इन नोटिसों में सभी आईटी एक्ट के प्रावधानों का पालन किया जाए। इसका मतलब है कि अब इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे गए नोटिस भी वैध माने जाएंगे, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और तेज होगी।

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