केंद्र सरकार के वित्त वर्ष 2025 -26 के बजट में वेतन और पेंशन पर खर्च को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। बजट दस्तावेजों के अनुसार , 2023 -24 से पेंशन पर होने वाला खर्च वेतन से अधिक हो गया है। यह प्रवृत्ति 2025 -26 में भी जारी रहेगी और इसका सीधा असर आठवे वेतन आयोग पर पड़ सकता है।
2023 में वेतन खर्च में भारी गिरावट
सरकार ने 2025 -26 के बजट में वेतन पर 1 पॉइंट 66 लाख करोड़ और पेंशन पर 2.77 लाख करोड़ खर्च करने का अनुमान लगाया गया है। पहले के वर्षों में वेतन पर खर्च अधिक होता था लेकिन 2022 -23 में से पहली बार पेंशन से कम हो गया। खास कर 2022 – 23 और 2023 -24 के बीच वेतन पर एक लाख करोड़ की कमी देखी गई जिससे साफ होता है कि सरकारी कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है।
कुल खर्च में कोई कमी नहीं
बजट में वेतन वेतन और पेंशन खर्च ‘स्थापना व्यय’ के तहत आते है। इसके अलावा इसमें ‘अन्य श्रेणी ‘भी शामिल है । हालाँकि 2022 -23 के बाद वेतन खर्चे में गिरावट आई है । लेकिन कुल स्थापना व्यय लगातार बढ़ रहा है। यह वृद्धि मुख्य रूप से अन्य श्रेणी में आवंटन बढ़ाने के कारण हुई जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार का कुल खर्च कम नहीं हुआ है।
वेतन से अधिक भत्तों पर खर्च
बजट दस्तावेज सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्ते और यात्रा व्यय को अलग-अलग दिखाया गया है। 2017-18 से 2025 -26 के बीच कर्मचारियों की संख्या 32 से 37 लाख के बीच बनी हुई है लेकिन 2030-24 के बाद वेतन खर्चा स्थिर हो गए जबकिभत्तों की खर्च बढ़ गया । इसका मुख्य कारण महंगाई भत्ता , मकान किराया भत्ता और अन्य भत्तों को को अब ‘भत्ते’ श्रेणी में डाल दिया गया है। पहले ये वेतन के अंतर्गत आते थे इस बदलाव के कारण वेतन में कमी दिखाई देती है, लेकिन असल में खर्च का पुनर्वर्गीकरण किया गया है।
आठवें वेतन आयोग पर असर
सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की है, जो संभवतः 2027 से लागू होगा। हर वेतन आयोग महंगाई भत्ते को मूल वेतन में शामिल करता है, जिससे शुरुआत में वेतन में भारी बढ़ोतरी होती है।