आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते है। ये एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ये इसके बाद ही भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं। उसके बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं होता और देवउठनी ग्यारस के बाद शुभ कार्य और विवाह संपन्न होते हैं। ऐसे मैं इस साल देव शयनी एकादशी कब मनाई जाएगी इसकी शुभ तिथि क्या है ,इसका महत्व और पूजा विधि क्या होती है। यह हम आपको बताते हैं।
18 जुलाई को सुबह 5:35 से लेकर 8:20 के बीच व्रत पारण कर सकते हैं
हिंदू पंचांग के अनुसार , आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि इस साल 16 जुलाई को शाम 8:33 से शुरू होगी और 17 जुलाई कोशाम 9:02 तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि कि अनुसार ,17 जुलाई को ही देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। 17 जुलाई को एकादशी व्रत करें। भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के साथ ही 18 जुलाई को सुबह 5:35 से लेकर 8:20 के बीच व्रत पारण कर सकते हैं।
कोई भी शुभ काम कर सकते हैं
इस साल एकादशी अपने साथ कई शुभ संयोग लेकर आ रही है। सबसे पहले सुबह 7:05 पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है जिसका समापन 18 जुलाई को सुबह 6:23 पर होगा। वहीं देवशयनी एकादशी पर स्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। इन दोनों योग योगो का निर्माण से 5:34 से 18 जुलाई को सुबह 3 :13 तक रहेगा । इस दौरान आप कोई भी शुभ काम कर सकते हैं।
देवशयनी एकादशी पर आपको पूजा कैसी करनी चाहिए
अब बात आती है देवशयनी एकादशी पर आपको पूजा कैसी करनी चाहिए तो सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद श्री विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी का अभिषेक करें। इसके लिए शंख में दूध थोड़ा सा केसर डालकर मां लक्ष्मी भगवान विष्णु का अभिषेक करें। विष्णु भगवान को पीले वस्त्र , पीले फूल , पीला चंद , अक्षत , पान का पत्ता ,सुपारी आदि अर्पित करें और प्रसाद में तुलसी का पत्ता जरूर डालें । धूप दीप जलाकर ‘ॐ नमः भगवते वासुदेवाय ‘मंत्र का जाप करें व्रत करें और एकादशी पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, छाता और जूते का दान भी करना चाहिए।