जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ ,भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा जीवन हर वर्ष भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा देश विदेश में अधिक प्रसिद्ध देश में अधिक संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। ऐसा माना जाता है भगवान जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित जोड़ो को नहीं जाना चाहिए। यहां जानते इस पीछे के कारण के बारे में।
श्री राधा रानी जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने का विचार किया
पौराणिक कथाओ के अनुसार , एक बार श्री राधा रानी जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने का विचार किया। जब वह मंदिर में प्रवेश कर रही थी तो उनको पुजारीरोक लिया । इसके बाद पुजारी से इसके बारे में पूछा तो पुजारी ने कहा कि ,आप श्री कृष्ण की प्रेमिका है और विवाहित भी नहीं है इस वजह से भगवान श्री कृष्ण की पत्नियों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली तो आपको भी मंदिर जाने अनुमति नहीं है। इस वजह से राधा रानी पुजारी की बात से नाराज हो गई। इसके बाद राधा रानी जगन्नाथ मंदिर को श्राप दिया यदि जीवन में कोई अविवाहित जोड़ा एक साथ मंदिर में प्रवेश करेगा तो उसे कभी भी प्रेमी या प्रेमिका का प्यार नहीं मिलेगा।
रथ को बनाने के लिए किसी भी धातु या कील का प्रयोग नहीं किया जाता है
पंचांग के अनुसार ,आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि की शुरुआत 7 जुलाई 2024 को सुबह 4:26 होग। वहीं इसका समापन 8 जुलाई 2022 को सुबह 4:59 पर होगा। ऐसे में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 7 जुलाई से हो रही है। यात्रा के लिए तीन रथ बनाए जाते हैं । भगवान जगन्नाथ ,भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा अलग-अलग रथो पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं। वहां कुछ दिन विश्राम करने के बाद वापस आते हैं। ऐसा बताया जाता है कि रथो को नीम के पेड़ की लकड़ी की सहायता से बनाए थे। सबसे खास बात है कि रथ को बनाने के लिए किसी भी धातु या कील का प्रयोग नहीं किया जाता है।