एक युवक के दो वोटर आईडी और पीएम आवास, जांच के घेरे में फर्जी लाभार्थी

Saroj Kanwar
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Chhatarpur News: जिले में सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। प्रधानमंत्री आवास योजना, जो गरीबों को घर उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी, अब कुछ लोगों के लिए लाभ कमाने का जरिया बन गई है। अधिकारियों, कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से अपात्र लोगों को लाभ दिलाने के आरोप लगे हैं। वास्तविक जरूरतमंद परिवार अब भी आवास के इंतजार में हैं।

मामला जनपद पंचायत पलेरा की ग्राम पंचायत कंजना और नगर परिषद लिधौरा से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार, राजू रजक नामक व्यक्ति को साल 2016 में ग्राम पंचायत कंजना से पीएम आवास स्वीकृत किया गया, जिसका निर्माण 2018 तक पूरा कर लिया गया। आश्चर्य की बात यह है कि इसी व्यक्ति को साल 2022 में नगर परिषद लिधौरा से भी एक और आवास स्वीकृत कर दिया गया।

दोनों जगहों पर इस युवक का वोटर आईडी कार्ड मौजूद है। लिधौरा निवासी मुनेंद्र सिंह ने आरोप लगाते हुए कलेक्टर से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि दोनों स्थानों पर अलग-अलग दस्तावेज प्रस्तुत कर फर्जी तरीके से खुद को पात्र साबित किया गया। मतदाता सूची, समग्र आईडी, गरीबी रेखा कार्ड, निवास, आय और जाति प्रमाण पत्र सभी कागजात दो-दो बार अलग-अलग जगहों पर पेश किए गए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अकेला मामला नहीं है। अगर निष्पक्ष जांच कराई जाए तो जिलेभर में ऐसे सैकड़ों फर्जी लाभार्थी सामने आ सकते हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और अपात्र को मिला लाभ वापस लिया जाएगा।

राजू रजक के कंजना पंचायत वाले वोटर आईडी में उम्र 50 साल दर्ज है, जबकि लिधौरा के वोटर आईडी में 45 साल दर्ज है। पिता का नाम कंजना में रतन लाल और लिधौरा में सिर्फ रतन लिखा गया है।

शिकायत की निष्पक्ष जांच के बाद जो तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह भी देखना होगा कि युवक ने दोनों जगहों में से किसी एक स्थान से वोटर लिस्ट से नाम कटवाने का आवेदन दिया या नहीं।

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में कोई ढील नहीं बरती जाएगी। अपात्रों को लाभ दिलाने वाले सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और संबंधित जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और निगरानी आवश्यक है, ताकि वास्तविक जरूरतमंद लोगों को उनका हक मिल सके।

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