पैसा आदमी की सबसे बड़ी ताकत है। समझदारी इसी में हैं की नौकरी के साथ ही रिटायरमेंट प्लानिंग शुरु कर दें, ताकि बुढ़ापे में पैसों की कमी ना रहें। मोटा फंड जमा करने के साथ-साथ आपको बुढ़ापे के लिए रेगुलर इनकम प्लान करने की भी आवश्यकता होगी ताकि रोजमर्रा की जरुरतें और खर्चें चलते रहे। इसके लिए SIP+SWP की स्ट्रैटेजी मददगार होगा।
SIP और SWP क्या है समझिये?
SIP में आप हर महीने एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं जोकि आपके बैंक खाते से काट लिए जाते हैं। SWP में म्यूचुअल फंड में किया गया बड़ा निवेश आपके बैंक अकाउंट में मंथली, तिमाही, छमाही व सालाना जिस भी मोड़ का आपके चुनाव किया क्रेडिट होता रहता है, जब तक की फंड ख़त्म ना हो जाएँ।
SIP और SWP स्ट्रेटजी
आपको अपने नौकरी के दौरान SIP की शुरुवात करनी चाहिए। लम्बी अवधि में म्यूचुअल फंड सामान्य 12 फीसदी का रिटर्न दे सकता है। जोकि किसी अन्य स्कीम में देखने को नहीं मिलता। SIP के जरिये निवेश से कम्पाउंडिंग का भी फायदा मिलता है।
अगर आपका रिटायरमेंट हो जाता है तो SWP का चुनाव करना होगा, इसके जरिये आप रेगुलर इनकम का इंतेजाम कर सकते हैं। SWP में अनुमानित रिटर्न 8 फीसदी का माना जाता है। यह इनकम तब तक होती रहेगी जब तक आपके पास फंड है, फंड ख़त्म होने पर SWP रुक जाएगी।
SWP की शुरुवात
SWP की शुरुवात कभी भी की जा सकती है, अपने SIP को आप रिटायरमेंट के बाद SWP में बदल सकते हैं। अगर आपने SIP में निवेश नहीं किया है तो रिटायर्मेंट पर मिलने वाले फंड से SWP एक्टिवेट कर सकते हैं।
SWP के फायदें
- बाजार के उतार-चढाव को आसानी से झेल सकता है
- चूँकि बाजार निवेश है इसलिए अच्छे रिटर्न की उम्मीद है
- महगाई को आसानी से मात दे सकता है
- आप अपने इक्षा से निवेश राशि चुन सकते हैं।