ग्राहकों के लिए चिंता का कारण, पॉलिसी प्रीमियम में हुई बढ़ोतरी

Saroj Kanwar
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Life Insurance: देश में जीवन बीमा कंपनियां अब अपने मार्जिन बढ़ाने और पॉलिसियों के बंद होने की संभावना कम करने के लिए न्यूनतम प्रीमियम की सीमा बढ़ा रही हैं। इसका सीधा असर यह होगा कि छोटी और सस्ती जीवन बीमा पॉलिसियां धीरे-धीरे बाजार से बाहर हो सकती हैं। एलआईसी, एचडीएफसी लाइफ और एसबीआई लाइफ जैसी बड़ी कंपनियों की यह रणनीति बीमाधारकों के लिए प्रीमियम बढ़ा सकती है।

कंपनियां इस कदम से यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी को मैच्योरिटी से पहले बंद न करें। इससे पॉलिसी का आकार बड़ा होगा और ग्राहक उसे लंबे समय तक जारी रखेंगे। इसका फायदा कंपनियों और एजेंटों दोनों को मिलेगा, क्योंकि पॉलिसी जितनी बड़ी होगी, उनके मार्जिन और कमीशन उतने ही अधिक होंगे।

हाल ही में एलआईसी ने बताया कि कम मूल्य वाली पॉलिसियों की निरंतरता में गिरावट आई है। इसे देखते हुए उसने बंद पॉलिसियों को फिर से चालू करने का अभियान शुरू किया है, ताकि बीमाधारक विशेष रियायत पर अपनी पॉलिसी दोबारा शुरू कर सकें।

प्रीमियम राशि बीमाधारक की उम्र और पॉलिसी की न्यूनतम राशि पर निर्भर करती है। न्यूनतम मूल्य बढ़ने से नई पॉलिसियों के लिए ज्यादा प्रीमियम देना होगा। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में एलआईसी की पॉलिसियों का औसत मूल्य पिछले साल की तुलना में 23 प्रतिशत बढ़ गया। इसी तरह, एचडीएफसी लाइफ और एसबीआई लाइफ ने भी अपने प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ा दी हैं।

बीमा उद्योग में पर्सिस्टेंसी अनुपात भी महत्वपूर्ण है। यह मीट्रिक बताता है कि कितनी पॉलिसियां एक निश्चित अवधि के बाद भी चालू हैं। यह निवेशकों और नियामकों के लिए अहम संकेत है क्योंकि यह ग्राहकों की संतुष्टि और बिक्री की गुणवत्ता दोनों दर्शाता है।

सरकार ने पिछले साल उच्च प्रीमियम वाली गैर-यूलिप बीमा पॉलिसियों पर टैक्स लगाया, जिससे कम मूल्य वाली पॉलिसियों की खरीद में गिरावट आई। कंपनियां इसलिए न्यूनतम मूल्य बढ़ा रही हैं ताकि पॉलिसियों का स्थायित्व बना रहे और ग्राहकों को लंबे समय तक सुरक्षा मिलती रहे।

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