Guna News: जिले में हाल ही में जांच में सामने आया है कि कई ऐसे लोग हैं, जो वास्तविक गरीबी के बावजूद मुफ्त राशन ले रहे हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनकी वार्षिक आमदनी 6 लाख रुपये से अधिक है और जिनकी कंपनियों का सालाना कारोबार 25 लाख रुपये से ऊपर है। ये सभी पीडीएस दुकानों से हर महीने मुफ्त राशन प्राप्त कर रहे हैं, जबकि वे गरीब नहीं माने जा सकते।
खाद्य विभाग की जांच के अनुसार, जिले में ऐसे कुल 1404 संदेहास्पद हितग्राही हैं। इनमें अधिकांश ऐसे परिवार हैं, जिनके सदस्य अब अमीर हो गए हैं, लेकिन खुद को अभी भी गरीब दिखाकर लाभ ले रहे हैं। कई मामलों में परिवार के बड़े बेटे या सदस्य हर साल लाखों रुपये कमाते हैं और तीन-मंजिला मकान के मालिक हैं, फिर भी माता-पिता या अन्य परिवार के सदस्य राशन लेने के पात्र बने हुए हैं। कुछ हितग्राहीयों ने अपने नाम पर कंपनियों या फर्में दर्ज कर रखी हैं, जिनसे जीएसटी और टर्नओवर के आंकड़े साबित करते हैं कि वे गरीबी रेखा से ऊपर हैं।
जिला आपूर्ति विभाग ने इस मामले में सभी 1404 हितग्राहियों को नोटिस जारी कर दिया है। अब उनके जवाबों के आधार पर उन्हें राशन वितरण प्रणाली से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कदम उन लोगों के लिए चेतावनी है जो लाभ पाने के लिए गरीबी की वास्तविक परिभाषा को बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि सूची में 301 लोग ऐसे हैं, जिनके नाम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के रूप में डायरेक्टर के रूप में दर्ज हैं। हालांकि, उनकी वास्तविक आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है जितना नाम से प्रतीत होता है। समूह में शामिल अन्य महिलाएं भी लाभ उठा रही हैं, लेकिन उनके पास निजी कंपनी के डायरेक्टर जैसी स्वतंत्र आर्थिक स्थिति नहीं है।
विशेष रूप से शहर में ऐसे लोगों की संख्या सबसे अधिक पाई गई। उदाहरण के लिए, गुना शहर में 402 लोग ऐसे हैं जो आयकर विवरण में दर्ज हैं और जिनकी आमदनी 6 लाख रुपये से अधिक है। वहीं 27 लोग कंपनियों में डायरेक्टर के रूप में शामिल हैं। पूरे जिले में 1098 ऐसे लोग हैं जिनकी वार्षिक आय 6 लाख से अधिक है और 301 लोग कंपनी डायरेक्टर के रूप में पंजीकृत हैं।
विभाग ने स्पष्ट किया है कि नोटिस का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही केंद्र सरकार की उपलब्ध कराई गई सूची के आधार पर सभी हितग्राहीयों की आर्थिक स्थिति का सत्यापन किया जाएगा, ताकि मुफ्त राशन प्रणाली केवल वाकई गरीबों तक ही पहुंचे।