मप्र के कई पटवारी हल्कों में फसल बीमा में हुआ नुकसान, कुछ किसानों को मिली मात्र 85 से 700 रुपये प्रति एकड़

Saroj Kanwar
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MP News: मध्यप्रदेश में फसल बीमा के तहत कई किसानों को मात्र 85 रुपये से 700 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिला, जबकि कुछ हल्कों में एक भी रुपये का क्लेम नहीं दिया गया। किसानों का कहना है कि 2022 से लागू नई व्यवस्था के तहत नुकसान का आंकलन फसल कटाई प्रयोग के बजाय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट सर्वे से किया जा रहा है। इस सर्वे में कई जगह उत्पादन का आंकड़ा फसल कटाई प्रयोग से अधिक आ रहा है, जिससे क्लेम कम या शून्य मिल रहा है।

उदाहरण के तौर पर, देवास जिले की बागली तहसील के चापड़ा हल्के में सोयाबीन का उत्पादन फसल कटाई प्रयोग में 183 किलो प्रति हेक्टेयर आया, लेकिन सैटेलाइट सर्वे में 869.4 किलो दर्ज हुआ। इसी वजह से किसान को क्लेम नहीं मिला। हाटपिपल्या के मनापीपल्या हल्के में भी उत्पादन अंतर के कारण क्लेम कम हुआ।

कई किसानों का प्रीमियम भी वापस नहीं मिला। खंडवा के कन्हैयालाल पटेल ने 6.5 हेक्टेयर फसल का बीमा कराने के लिए 4800 रुपये प्रीमियम दिया, लेकिन क्लेम में मात्र 1300 रुपये मिले। हरदा, उज्जैन, खातेगांव और नसरूल्लागंज के किसानों को भी 110 से 700 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से ही मुआवजा मिला।

सैटेलाइट सर्वे के आंकड़े वास्तविक नुकसान को नहीं दर्शाते। हाटपिपल्या के लिम्बोदा हल्के में सैटेलाइट सर्वे के आधार पर 4751 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा मिला, जबकि फसल कटाई प्रयोग के हिसाब से किसानों को 28 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मिलना चाहिए था।

भारतीय किसान संघ के हुकुमचंद पटेल ने कहा कि सैटेलाइट सर्वे गलत आंकड़े दे रहा है और मुआवजा फसल कटाई प्रयोग के आधार पर तय होना चाहिए, ताकि किसानों को वास्तविक नुकसान की भरपाई मिल सके।

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