Indian Currency Notes: आज के समय में नकली नोटों का प्रचलन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। विशेष रूप से 2016 की नोटबंदी के बाद से इस समस्या में काफी वृद्धि देखी गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में करोड़ों रुपये के नकली नोट बाज़ार में पकड़े गए हैं। इन नकली नोटों का सबसे अधिक प्रभाव आम जनता पर पड़ता है, जो अनजाने में इनका शिकार हो जाती है।
नकली नोटों का मुद्दा केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिरता और मुद्रा की विश्वसनीयता पर भी प्रभाव डालता है। आम नागरिकों को इस समस्या से बचने के लिए असली और नकली नोटों के बीच अंतर करना सीखना आवश्यक है।
दो हज़ार रुपये के नोट वापसी का प्रभाव
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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दो हज़ार रुपये के नोट को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा के बाद, जालसाज़ों का ध्यान मध्यम और छोटे मूल्य के नोटों पर केंद्रित हो गया है। अब 100, 200, और 500 रुपये के नकली नोटों की आपूर्ति में काफी वृद्धि हुई है। ये जालसाज़ आजकल इतनी प्रोफेशनल तकनीक का उपयोग करते हैं कि पहली नज़र में नकली नोटों को पहचानना बहुत मुश्किल हो गया है।
इस स्थिति में आम लोगों के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है कि वे दैनिक लेन-देन में सावधानी बरतें। कई बार लोग अनजाने में नकली नोट स्वीकार कर लेते हैं और बाद में इसका नुकसान उठाना पड़ता है।
सौ रुपये के नकली नोट की विशेष पहचान
सौ रुपये के असली नोट में कई सुरक्षा विशेषताएं हैं जो नकली नोट में नकल करना कठिन होती हैं। सबसे पहली पहचान सी थ्रू रजिस्टर की है, जो एक फूलों के डिज़ाइन जैसा दिखता है। यह वॉटरमार्क के पास वर्टिकल बैंड पर बना होता है और इस पर 100 अंकित होता है। यह विशेषता केवल रोशनी में देखने पर ही स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
वॉटरमार्क की जांच भी बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें महात्मा गांधी की तस्वीर हल्के शेड में दिखाई देती है। इसके साथ ही 100 का अंक भी वॉटरमार्क में दिखता है, जो नोट को तिरछा करने पर साफ दिखाई देता है। सिक्योरिटी थ्रेड पर ‘भारत’ और ‘RBI’ लिखा होता है, जो अलग-अलग कोणों से देखने पर नीले और हरे रंग में दिखाई देता है।
दो सौ रुपये के नोट की सुरक्षा विशेषताएं
दो सौ रुपये का नोट अपेक्षाकृत नया है और इसमें आधुनिक सुरक्षा तकनीक का उपयोग किया गया है। इस नोट पर देवनागरी में ‘200’ लिखा होता है और बीच में महात्मा गांधी की स्पष्ट तस्वीर होती है। माइक्रो लेटरिंग एक महत्वपूर्ण सुरक्षा विशेषता है, जिसमें ‘RBI’, ‘भारत’, ‘INDIA’ और ‘200’ बहुत छोटे अक्षरों में लिखा होता है।
नोट के दाईं ओर अशोक स्तंभ का चिह्न स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जो भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक है। सिक्योरिटी थ्रेड पर भी ‘भारत’ और ‘RBI’ लिखा होता है, जो नकली नोटों में सही तरीके से नकल करना कठिन होता है।
पांच सौ रुपये के नोट की पहचान की विधि
पांच सौ रुपये के नोट में सबसे उन्नत सुरक्षा विशेषताएं हैं क्योंकि यह उच्च मूल्य का नोट है। इस पर महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ देवनागरी में ‘500’ लिखा होता है। सबसे खास बात यह है कि इसमें एक रंगीन सुरक्षा धागा होता है, जो नोट को तिरछा करने पर हरे रंग से नीले रंग में बदल जाता है। यह विशेषता नकली नोटों में बहुत कम देखने को मिलती है।
महात्मा गांधी की तस्वीर और अशोक स्तंभ का प्रतीक थोड़ा उभरा हुआ होता है, जिसे छूकर महसूस किया जा सकता है। यह विशेषता दृष्टिबाधित लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। नोट की गुणवत्ता और कागज़ की मोटाई भी असली नोटों की एक विशिष्ट पहचान है।
सामान्य सावधानियां और सुझाव
नकली नोटों से बचने के लिए हमेशा नोट को ध्यान से देखना चाहिए, विशेष रूप से बड़े लेन-देन के समय। रोशनी में नोट की जांच करना, वॉटरमार्क की उपस्थिति देखना, और सुरक्षा धागे की जांच करना आवश्यक है। यदि कोई नोट संदिग्ध लगे तो उसे स्वीकार न करें और तुरंत बैंक या संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
Disclaimer
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। मुद्रा की पहचान के लिए हमेशा भारतीय रिज़र्व बैंक के आधिकारिक दिशा-निर्देशों का पालन करें। किसी भी संदिग्ध नोट की स्थिति में तुरंत संबंधित बैंक या अधिकारियों से संपर्क करें।