Sheetala Ashtami 2023:शीतला माता की पूजा विधि से जुड़ी जरूरी बातें

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाताहै। इस दिन मां शीतला की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से रोग-दोष से छुटकारा मिलने के साथ लंबी आयु का वरदान मिलता है। जानिए शीतला अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। कई घरों में शीतला माता का व्रत भी रखा जाता है। शीतला माता की पूजा भी विशेष होती है। इस विषय में हमने पंडित एंव ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी जी से बात की। वह कहते हैं, 'हिंदू धर्म में केवल शीतला माता ही हैं, जिन्हें प्रसाद में बासी खाना चढ़ता है और यह प्रसाद भी विशेष विधि से चढ़ाया जाता है।'
मां शीतला को लगाएं बासी भोजन का भोग
शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी के साथ मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है। यह भोजन सप्तमी तिथि की शाम को बनाया जाता है। यह भोग चावल-गड़ या फिर चावल और गन्ने के रस से मिलकर बनता है। इसके साथ ही मीठी रोटी का भोग बनता है।Basoda Sheetala Ashtami - कब है बासोड़ा? जानें तिथि और मुहूर्त
तो चलिए जानते हैं शीतला माता को प्रसाद चढ़ने और उनकी पूजा विधि के बारे में-
शीतला सप्तमी के दिन मीठे चावल, खाजा, चूरमा, नमक पारे, पूड़ी और सब्जी आदि बनाए जाते हैं। इसके बाद इस भोजन को रख दिया जाता है और दूसरे दिन इसी का भोग देवी जी को चढ़ता है।
जब भी आप शीतला माता के लिए कोई भोग तैयार करें, तो उसे आग में इतना न पकाएं कि वो लाल हो जाए। इतना ही नहीं, इस बात का ध्यान रखें कि आपको यह सारा भोजन रात में सोने से पहले ही बनाना है।
पुजापा तैयार करने के बाद आपको अपनी पूरी रसोई अच्छी तरह से साफ करनी है और चूल्हे पर रोली, मौली, पुष्प, वस्त्र आदि आर्पित करके पूजा करनी है। जब आप यह पूजा कर लें तो चूल्हा न जलाएं।
शीतला अष्टमी के दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना है और फिर मिट्टी के कंडवारे में दही, रबड़ी, चावल, पुआ आदि सभी कुछ जो आपने शीतला माता के भोग के लिए तैयार किया है उसे भरना है।
इसके अलावा आप एक थाली में माता के श्रृंगार का सारा सामान रखें। इसमें आप रोली, मौली, मेहंदी, काजल, हल्दी वस्त्र आदि रखें। साथ ही गोबर के कंडे से बनी एक माला भी रखें।
तांबे के कलश में साफ और शीतल जल भरें। बिना नमक वाले पानी से आटे को गूंथ लें और उसका दीपक बना लें। इस दीपक में देसी घी डालें और रूई की बत्ती को इसमें भिगो दें और इस दीपक से शीतला माता की आरती करें। पूजा के लिए चावल से एपण तैयार करें। पूजा के दौरान मंदिर की फर्श पर एपण से 7 बार गोले बनाएं और गोले बीच में दीपक रखें। फिर इस गोले में ही सुहाग का सारा सामान रखें और फिर बासी खाने का भोग माता जी को अर्पित करें।