Marriage - कैसे शुरू हुई थी शादी की परंपरा ? किसने किया था धरती पर पहला विवाह?

हिन्दू धर्म में विवाह से जुड़ी कई बातें बताई गई हैं जिनमें विवाह के नियम, रीति-रिवाज, विवाह का महत्व, विवाह की आवश्यकता आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। आइये जानते हैं पृथ्वी पर पहला विवाह कब हुआ था और किसने किया ?
ब्रह्मा जी ने शरीर के किए दो भाग
ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो भाग कर दिए थे। यह भाग मनुष्य की उत्पत्ति के लिए हुए थे। ब्रह्मा जी के शरीर का एक भाग 'का' कहलाया और दूसरा भाग 'या' कहलाया। दोनों को मिलाकर बना 'काया'। इसी काया से पुरुष तत्व और स्त्री तत्त्व ने जन्म लिया।
स्त्री-पुरुष की हुई रचना
ब्रह्मा जी ने जहां पुरुष का नाम स्वयंभुव मनु रखा। स्त्री का नाम शतरूपा रखा गया। दोनों को ब्रह्मा ने सृष्टि का ज्ञान प्रदान किया। जब दोनों का पृथ्वी पर आमना-सामना हुआ तो ब्रह्मा जी के दिए सांसारिक और पारिवारिक ज्ञान के अनुसार दोनों ने एक दूसरे को स्वीकार किया।alsoreadHoli - होली पे आजमाएं वास्तु के ये उपाय, घर आएगी सुख समृद्धि
इन्होनें किया था पहला विवाह
मनु-शतरूपा ही पहले दंपत्ति थे। पृथ्वी पर पहला विवाह मनु और शतरूपा ने किया था। इस विवाह के बाद मनु और शतरूपा को सात पुत्र और तीन पुत्रियां प्राप्त हुई थीं।
ऐसे हुए थी विवाह परंपरा की स्थापना
विवाह जैसी परंपरा की स्थापना श्वेत ऋषि ने की थी। उन्होंने ही विवाह के समस्त नियम, विवाह की मर्यादा, विवाह का महत्व, विवाह में फेरों का स्थान, विवाह में सिन्दूर एवं मंगलसूत्र का महत्व, विवाह में वचनों का आदान-प्रदान आदि यह सब स्थापित किया था।
शादियों में ऐसा सुनने को मिलता है कि फेरों के दौरान बोला जाता है कि शादी के बाद पत्नी पति की आज्ञा बिना कुछ काम नहीं करेगी लेकिन ऋषि श्वेत द्वारा बनाए गए नियमों में विवाह के बाद पति-पत्नी को एक समान स्थान देने की बात कही गई है।