आपके गढ़ तय करते है की क्या आपके आस पास कोई नेगेटिव एनर्जी है ?

कभी-कभी कुछ व्यक्तियों को अपने आस-पास किसी अदृश्य शक्ति यानी भूत-प्रेत या आत्मा के होने का अहसास होता है। आपका ऐसा महसूस करना आपके गढ़ तय करते है।कई लोग इन बातो पर यकीन नहीं करते है लेकिन यही इस संसार में अँधेरा है तो उजाला भी है। इसी तरह यदि हमारे पास पोस्टिव एनर्जी है तो नेगेटिव भी है । इस बात पर यकीन करना मुश्किल है लेकिन इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता।
मनुष्य के आसपास पॉजिटिव एवं नेगेटिव दोनों शक्तियां होती है। परंतु कुछ मनुष्य इसका आभास कर पाते हैं और कुछ नहीं कर पाते। ज्योतिष विद्या के अनुसार ऐसा आभास होने का अहम कारण होता है हमारे नक्षत्र कैसे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, कौन व्यक्ति किस गुण का है इसका पता जन्म कुंडली देखकर किया जा सकता है। इसका मुख्य आधार नक्षत्र होते हैं। देवता, मनुष्य और राक्षस इन तीनों गणों के अपने-अपने नक्षत्र बताए गए हैं।
किस व्यक्ति के जन्म के समय कौन-सा नक्षत्र था, उसी के आधार पर तय होता है कि उसका गण कौन-सा है। ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। इन सभी को देवता, मनुष्य और राक्षस में बांटा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गण तीन प्रकार के होते हैं मनुष्य, देव और राक्षस। इन तीनों गढ़ में सभी मनुष्यों की शक्तियां अलग-अलग विभाजित की जाती है। इनमें से मनुष्य गण वाले लोग सामान्य होते हैं इनके पास कोई खास शक्ति नहीं होती। ये सामान्य रूप से जीवन व्यतीत करते हैं जबकि देव गण वाले लोग दयालु और जिंदादिल होते हैं।
इनका झुकाव धर्म-कर्म की ओर भी अधिक रहता है। अब बात करते हैं राक्षस गण की। जिन लोगों का राक्षस गण होता है, उनके पास पास ऐसी सुपर पॉवर होती है कि ये तुंरत अपने आस-पास होने वाली पेरानार्मल एक्टिविटी को भांप लेते हैं और इन्हें समझ में आ जाता है कि इनके आस-पास कोई आत्मा या अदृश्य शक्ति है-कृत्तिका,अश्लेषा,मघा,चित्रा,विशाखा, ज्येष्ठा,मूल,धनिष्ठा और शतभिषा।