श्राद्ध से जुड़ी जरूरी बातें - सुबह 11.36 से 12.24 के बीच पितरों का श्राद्ध करना है फलदाई , पितरों की दिशा है दक्षिण

श्राद्ध से जुड़ी जरूरी बातें - सुबह 11.36 से 12.24 के बीच पितरों का श्राद्ध करना है फलदाई , पितरों की दिशा है दक्षिण

 
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अश्विन महीने में सूर्य कन्या राशि में होता है तब पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है पितरों की पूजा के लिए आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष को शुभ माना जाता है दक्षिण को पितरों की दिशा माना जाता है चंद्र लोक पितरों का वास माना जाता है अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ जाता है इसलिए इन दिनों पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण का विधान है

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पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध उचित वक्त पर करने से ही फलदायी होते हैं दिन के आठवें मुहूर्त में ही श्राद्ध करना चाहिए इस मुहूर्त को कुतुप काल कहते हैं जो सुबह 11.36 से 12.24 के बीच होता है इस वक्त पितरों का मुख पश्चिम की ओर हो जाता है आइये श्राद्ध से जुडी कुछ बातें जानते हैं  

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1 तर्पण का श्रेष्ठ समय सुबह 11.36 से 12.24 तक माना गया है जल से किए तर्पण से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है

2. पितरों की ख़ुशी के लिए पितृ स्त्रोत का पाठ करना चाहिए

3. सबसे पहले पिता को फिर उनके दादा को और उसके बाद परदादा को पिंड देना चाहिए 

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4 पिंड दान के वक्त गायत्री मंत्र का जाप तथा सोमाय पितृमते स्वाहा मंत्र बोलना चाहिए

5 अग्नि में हवन करने के बाद जो पिंडदान दिया जाता है उसे ब्रह्म राक्षस भी दूषित नहीं करते श्राद्ध में अग्निदेव को देखकर राक्षस वहां से भाग जाते हैं

6 ब्रह्माजी, पुलस्त्य, वसिष्ठ, पुलह, अंगिरा, क्रतु और महर्षि कश्यप- ये सात ऋषि महान योगेश्वर और पितर माने गए हैं

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