First-underwater-museum - ये है भारत का पहला अंडरवाटर म्यूजियम , जाने

First-underwater-museum - ये है भारत का पहला अंडरवाटर म्यूजियम , जाने

 
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हर राज्य में कई तरह के म्यूजियम स्थापित है। लेकिन पुदुचेरी में अंडरवाटर म्यूजियम है। इसकी बात ही अलग है। इसकी गिनती भारत के सबसे पहले अंडरवाटर म्यूजियम में आती है। इसे देखने का अपना एक अलग ही एक्सपीरियंस है जिसे व्यक्ति कभी भी नहीं भूल सकता। आज हम आपको पुदुचेरी में स्थित भारत के सबसे पहले अंडरवाटर म्यूजियम के बारे में बता रहे हैं-

माइनस्वीपर आईएनएस कुड्डालोर को बनाया म्यूजियम

यह अंडरवाटर म्यूजियम वास्तव में एक डीकमीशन माइंसवीपर, आईएनएस कुड्डालोर है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च, एनजीओ पॉन्डीकैन और केंद्र सरकार के साथ मिलकर भारतीय नौसेना ने माइनस्वीपर को एक अंडरवाटर म्यूजियम में बदल दिया। आईएनएस कुड्डालोर करीबन तीन दशकों तक सेवा में रहा। आईएनएस कुड्डालोर ने करीबन 30 हजार नॉटिकल माइल्स की दूरी तय की। यह करीबन 60 मीटर लंबी और 12 मीटर चौड़ी संरचना है।

यहां पर है स्थित

यह अंडरवाटर म्यूजियम पुदुचेरी के तट से लगभग 7 किमी दूर 26 मीटर की गहराई पर समुद्र तल में बनाया गया है। इस म्यूजियम को देखने के लिए पानी में गोता लगा सकते हैं। साथ ही समुद्री जीवों के साथ तैराकी भी कर सकते हैं। तैराकी करते समय कोई समस्या ना हो, इसके लिए जरूरी सामान भी मुहैया करवाने की व्यवस्था है।alsoreadक्या आप जानते हैं उत्तर और दक्षिण भारतीय मंदिरों की बनावट एक-दूसरे से इतनी अलग क्यों है?  

कई मायनों में है लाभदायक

यह अंडरवाटर म्यूजियम कई मायनों में लाभदायक है। सबसे पहले तो यह भारत में अपनी तरह का पहला म्यूजियम है। यह पुदुचेरी में टूरिज्म को बढ़ावा देगा। इससे मछली पकड़ने के उद्योग का भी विकास निश्चित रूप से होगा। 

अंडरवाटर म्यूजियम का मुख्य आकर्षण

इस म्यूजियम का मुख्य आकर्षण विदेशी मछलियां और समुद्री कछुए है। इसके अलावा शैवाल, कवक और बार्नाकल को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अपना एक अलग ही आनंद है। यहां पर आपको स्नॉर्केलिंग और स्कूबा डाइविंग के लिए 60 किमी लंबी साइट भी मिलती है। 

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