कुत्ता काटने पर एंटी रेबीज के कितने इंजेक्शन लगवाना है अनिवार्य? एक भी छूटा तो हो सकते हैं बीमार

बहुत से लोग हैं कुत्ता या बिल्ली पालने का शौक रखते है। आपने कई बार लोगों को सड़क पर आवारा कुत्तों की देखभाल करते देखा होगा। मानवता की दृष्टि से यह बहुत अच्छा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्ते हों या पालतू कुत्ते, इनके काटने के मामले तेजी से बढ़े हैं। इनकी वजह से लोगों में खतरनाक रेबीज (Rabies Risk) का खतरा पैदा हो जाता है।ऐसे में कुत्ते के काटने या बिल्ली के काटने के संक्रमण से बचाव के लिए एंटी रेबीज वैक्सीन (Dog Bite Injection) लगाया जाता है।
एंटी रेबीज टीकाकरण और इलाज के लिए रोजाना कुत्तों के काटने के सैकड़ों मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। कुत्ते के काटने के कई मामले इतने गंभीर होते हैं कि उन्हें एंटी- रेबीज इंजेक्शन या वैक्सीन के साथ- साथ एआरएस यानी एंटी- रेबीज सीरम भी देना पड़ता है। ताकि वैक्सीन के असर तक मरीज में रेबीज वायरस के खिलाफ पैसिव इम्युनिटी बन सके। पालतू जानवर का काटना कम हो या ज्यादा, एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है, ताकि रेबीज की आशंका को खत्म किया जा सके।
कितने रेबीज टीकों की जरूरत है?
बहुत पहले, कुत्ते और बिल्ली के काटने के लिए 9 एंटी- रेबीज टीके का इस्तेमाल किया गया था। ये सभी टीके पेट पर लगाए गए थे। अब एंटी रेबीज वैक्सीन की काफी एडवांस तकनीक आ गई है। रेबीज ह्यूमन डिप्लॉयड सेल वैक्सीन, वेरो सेल रेबीज वैक्सीन अब उपलब्ध हैं। इन टीकों के जरिए शरीर में बहुत कम मात्रा में वायरस निकलते हैं जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके।read also:
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पेट के बजाय हाथ पर क्यों लगाया जाता है इंजेक्शन?
इन टीकों को दो तरह से लगाया जाता है, इंट्रामस्क्युलर यानी हाथ की मांसपेशियों के अंदर और इंट्राडर्मल यानी त्वचा की एक परत के अंदर। इनमें भी इंट्राडर्मल वैक्सीन ज्यादा असरदार होती है क्योंकि इसे कम मात्रा में दिया जाता है और इसका असर इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन जैसा ही होता है। मान लीजिए कि किसी को इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन की 1 एमएल दी जाती है, लेकिन अगर किसी को दोनों हाथों पर .1 एमएल इंट्राडर्मल वैक्सीन दी जाती है, तो वह भी वैसी ही इम्युनिटी बनाता है। इसके साथ ही यह सबसे सस्ता भी है, इससे प्रति डोज की लागत भी कम आती है।
इंजेक्शन की पूरी खुराक कितने दिनों में लगती है?
मौजूदा समय में पशु के काटने पर पहले दिन से लेकर 28 दिन के बीच टीका लगाया जाता है। इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन की 5 खुराक दी जाती है। ये खुराक काटने के तुरंत बाद तीसरे, सातवें, 14वें और 28वें दिन दी जाती है। वहीं, अस्पतालों में दी जा रही एंटी रेबीज इंट्रोडर्मल वैक्सीन की 4 डोज दी जाती हैं। इसकी खुराक 0, 3रे, 7वें दिन और 28वें दिन चलती है। इन टीकों से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने में 7-14 दिन का समय लगता है। ऐसे में गंभीर रूप से काट लेने पर मरीज को एआरएस यानी एंटी रेबीज सीरम भी दिया जाता है, जो वैक्सीन के असर तक शरीर में पैसिव इम्युनिटी बनाता है।