Chess - शतरंज आईक्यू लेवल बढ़ाए, डिप्रेशन और पागलपन का भी करता है इलाज

शतरंज सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय इंडोर खेलों में से एक है। इसे दिमागी खेल माना जाता है। इस खेल के कई फायदे हैं। शतरंज डिमेंशिया के खतरे से बचा सकती है। यह दिमाग को तेज करके आईक्यू लेवल को बेहतर बनाता है। आइए शतरंज खेलने के मनोवैज्ञानिक फायदे के बारे में जानते हैं।
शतरंज की चाल दिमागी बीमारी पर भारी पड़ सकती है
शतरंज खेलने से किसी भी समस्या का हल तेजी से ढूंढा जा सकता है। शतरंज जैसे खेल खेलने वाले लोगों में 9 से 11 फीसदी तक डिमेंशिया होने का खतरा कम हो सकता है। कंप्यूटर पर शतरंज या फिर क्रॉसवर्ड खेलने से भी इस बीमारी के कम होने की संभावनाएं बढ़ती है।
ब्रेन को एक्टिव रखना जरूरी
रिसर्च के मुताबिक न सिर्फ गेम खेलने से बल्कि पेंटिंग बनाने या फिर बुनाई करने से भी बुजुर्गों में डिमेंशिया बढ़ने का खतरा काफी कम होने लगता है। फिल्म देखना, रेस्तरां में जाना, सैर करना, लोगों से मिलना जुलना, सोशल इन एक्टिव रहने से भी इससे बचाव किया जा सकता है।
याददाश्त बढ़ाता है
शतरंज याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है। जो लोग शतरंज खेलते हैं, उनकी सीखने की क्षमता तेजी से डेवलप होती है। जब आप शतरंज खेल रहे होते हैं, तो आपके मस्तिष्क को लगातार चुनौती का सामना करना पड़ता है।
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आईक्यू लेवल बढ़ता है
शतरंज आईक्यू को बेहतर बनाता है। शतरंज के खिलाड़ियों का आईक्यू लेवल दूसरों की तुलना में ज्यादा होता है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि जिन बच्चों ने शतरंज खेला, उनका आईक्यू उन बच्चों की तुलना में अधिक था, जो शतरंज नहीं खेलते थे।