वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे - कीटनाशकों के प्रयोग से जहरीला हुआ खाना , साथ ही बढ़ रहा है कैंसर का खतरा

पर्यावरण के साथ पिछले कुछ समय से अत्याचार हो रहा है भोजन से लेकर सांस तक सब जगह बस प्रदूषण और विषाक्तता ही दिख रही है ये विषाक्तता जो अभी नजर न आ रही पर उसके दुष्प्रभाव जरूर दिख रहे हैं 5 जून यानि की आज विश्व पर्यावरण दिवस है हम आज के दिन पर्यावरण संरक्षण को लेकर विचार करते हैं लोगों को एनवायरनमेंट के बारे में सचेत किया जाता है
क्या इस वैश्विक संकट के लिए एक दिन चर्चा कर लेना ही काफी है? क्योंकि पर्यावरण के साथ जो पिछले कुछ दशकों में हुआ है उससे काफी कुछ खराब हो गया है पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण और रसायनों ने कई तरह से हमें नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है पर्यावरण में बढ़ती विषाक्तता कैंसर जैसे गंभीर रोगों के जोखिम को कई गुना तक बढ़ा देती है
हवा, पानी, मिट्टी और हमारे भोजन में बढ़ते रसायनों की मात्रा कैंसर का कारण बनने वाले कारकों में से एक हैं दुनियाभर में हर साल सामने आ रहे कैंसर के मामलों में से 70-90 फीसदी के लिए पर्यावरण और जीवनशैली के कारकों को जिम्मेदार माना जा रहा है 65% कैंसर के मामले रैंडम डीएनए उत्परिवर्तन का परिणाम हैं जबकि शेष 35 फीसदी कैंसर के मामलों के लिए पर्यावरणीय और वंशानुगत कारकों के संयोजन को कारक के रूप में देखा जा रहा है तंबाकू का धुआं और सूरज की किरणों के कारण होने वाले कैंसर से तो आप बच सकते हैं पर जिस प्रदूषित हवा में हम सांस ले रहे हैं जो प्रदूषित पानी और भोजन हम खा और पी रहे हैं उससे होने वाले खतरे को कैसे कम किया जाए हमारी थाली में जो भोजन रोजाना आ रहा है उसमें भी विषाक्तता है इतनी विषाक्तता जो आपको कैंसर का शिकार बना सकती है
मांस उत्पादों और सॉसेज में जीवाणुरोधी और केमिकल युक्त रंग का उपयोग किया जाता है इससे आंत के कैंसर का खतरा 21% बढ़ जाता है फसलों की उपज, गुणवत्ता, दिखावट को बढ़ाने के लिए जिन रसायनों और कीटनाशकों को प्रयोग में लाया जा रहा है वह पर्यावरण के साथ हमारी सेहत के लिए भी गंभीर समस्याओं का कारक बनती हैं अब सवाल है कि आखिर इस जोखिम को कम कैसे किया जाए? विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे पहले वैश्विक स्तर पर रसायनों और कीटनाशकों के प्रयोग को लेकर बैन लगा देना चाहिए क्योंकि यह हमारे वर्तमान और भविष्य दोनों के अस्तित्व के लिए खतरा है