क्या आप जानते हैं कि आपके किचन में मौजूद रिफाइंड मैदा कैसे बना है?

क्या आप जानते हैं कि आपके किचन में मौजूद रिफाइंड मैदा कैसे बना है?

 
.

मैदा भले ही सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला माना जाता रहा है लेकिन इसका इस्तेमाल अमूमन हर घरों में किया जाता है।  कुछ ऑकेजन पर पूरियां बनानी हो तो मैदे की पूरी आप रेफर करते हैं, पिज्जा बनाना हो तो मैदे का बेस तैयार किया जाता है, मुगलई पराठा तक भी मैदे से ही बनाया जाता है।  ये खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है।एकदम सफेद और बिल्कुल लजीज।यह इतना फाइन और सफेद होता है कि लोग यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि आखिर यह बनता किस चीज से है? कई लोग अपने अपने हिसाब से ख्याली पुलाव बनाते हैं। कुछ को लगता है कि यह साबूदाना बनाते समय बनाया जाता है कुछ को लगता है कि इसमें सिंथेटिक प्रोडक्ट है। लेकिन आपको बता दें कि जिस गेहूं के आटे की आप रोटी खाते हैं उसी गेहूं से ही यह मैदा बनता है अगर आपके दिमाग में यह चल रहा है कि गेहूं का आटा तो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है तो आखिर मैदे को इतना अनहेल्दी क्यों कहा जाता है और इसे खाने की मनाही क्यों होती है? जानिए किन-किन लोगों को है विटामिन डी की कमी और कैसे किया जाए इसे दूर

कैसे बनता है मैदा?

जैसे कि हम आपको बता चुके हैं ये गेहूं से बनता है, लेकिन गेहूं का सिर्फ सफेद हिस्सा जिसे endosperm कहा जाता है उसका ही इस्तेमाल होता है। ये असल में प्रोसेस्ड और ब्लीच किया हुआ ही होता है जिसे इतना प्रोसेस किया जाता है कि गेहूं का जरूरी फाइबर भी दूर हो जाता है। 

मोटा मोटी हम सभी जानते हैं कि गेहूं से ही मैदे बनाए जाते हैं, लेकिन गेहूं का सिर्फ सफेद हिस्सा जिसे इंडोस्पर्म कहा जाता है उसका ही इस्तेमाल होता है.यह असल में प्रोसेस और ब्लीच किया हुआ गेहूं का आटा होता है जिसे इतना प्रोसेस किया जाता है कि गेहूं का जरूरी फाइबर इसमें से दूर हो जाता है. मैदा बनाने की शुरुआत सबसे पहले गेहूं के सिलेक्शन से होती है और इसमें कई स्टेप शामिल होते हैं।

पहला स्टेप: गेहूं को लेकर उसकी सफाई की जाती है। दरअसल मैदा बहुत ही फाइन और रिफाइंड प्रोडक्ट होता है इसलिए यह जरूरी है कि गेहूं की सफाई भी सही से हो की जाएं। कई फिल्टर लगाए जाते हैं और गंदगी धूल, पत्थर,हस्क सब कुछ निकल जाता है इस प्रोसेस में काफी वक्त लगता है।

दूसरा स्टेप:अब एक बार जब गेहूं साफ हो जाता है तो इसमें से भूसी को पूरी तरह से हटाया जाता है इस प्रोसेस में सिर्फ गेहूं के दाने का ही प्रयोग होता है।जानिए किन-किन लोगों को है विटामिन डी की कमी और कैसे किया जाए इसे दूर

तीसरा स्टेप:अब गेहूं को ग्राइंड किया जाता है और इसे एक बार नहीं बल्कि दो बार हाई प्रेशर रोलर से ग्राइंड किया जाता ह, ऐसे में बहुत ही महीन पाउडर निकल कर आता है इसके बाद रिफायनिंग की जरूरत होती है।

चौथा स्टेप:ग्राइंड करने के बाद मैदे की ब्लीचिंग और केमिकल प्रोसेसिंग की जाती है।यही वजह है कि ये गेहूं के आटे से अलग होता है और यह चिपचिपी कंसिस्टेंसी के साथ गूंथा जाता है।अगर इसे इतना प्रोसेस नहीं किया जाएगा तो यह सारी चीजें टूटने लगेंगी और ठीक तरह से बन नहीं पाएगा।

पांचवा स्टेप :अब मैदा अलग-अलग फिल्टर प्रोसेस से होकर पैकेजिंग में जाता है।इस प्रोसेस में वह सभी पार्टिकल निकाल दिए जाते हैं जो पहले की प्रोसेसिंग में नहीं निकल पाए।पैकिंग के बाद मैं गे को बेचने के लिए मार्केट में भेजा जाता है।

From Around the web