The Elephant Whisperers:- पांच साल में 450 घंटे हुई शूटिंग, फिर बनी 39 मिनट की ये डॉक्यूमेंट्री

इस शार्ट फिल्म का लेखन कार्तिकी ने किया है। कार्तिकी ऊटी में पैदा हुईं और पली बढ़ीं हैं। कार्तिकी ने बचपन से ही हाथियों को देखा था। मुदुमलाई टाइगर रिजर्व के पास बना थेप्पाकडू हाथी शिविर जहां इस डॉक्यूमेंट्री को फिल्माया गया था । ये जगह असल में कार्तिकी के घर से बस आधे घंटे की दूरी पर है। 2017 में जब रघु (हाथी) को रेस्क्यू कर लाया गया था तो उसे जंगली कुत्तों ने बुरी तरह जख्मी कर दिया था। वह तब तीन माह का ही था। उसकी मां को बिजली का झटका देकर मारा दिया गया था।
कार्तिकी ने सुनाई आंखों देखी
कार्तिकी बताती हैं कि वह असल में कुछ दोस्तों के साथ मुदुमलाई टाइगर रिजर्व घूमने गईं थी जहां उन्होंने देखा कि बोमन (कट्टूनायकन समुदाय पुजारी) एक हाथी के बच्चे को बचाने के लिए वैसी ही कोशिशें कर रहे थे जैसे कोई पिता अपने बच्चे का जीवन बचाने के लिए करता है। कार्तिकी डिस्कवरी और एनिमल प्लैनेट के लिए फोटोग्राफी कर चुकीं हैं। कार्तिकी ने इसके बाद पांच वर्ष तक लगातार रघु, बोमन और उनकी पत्नी बेली के बीच के रिश्ते को आकार लेते हुए देखा।
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ऐसे बनी थी यह डॉक्यूमेंट्री
फिल्म के नायक बोमन हाथियों की सेवा करने वाले कट्टूनायकन समुदाय के पुजारी हैं। कार्तिकी ने करीब पांच साल इन परंपराओं, आदर्शों और इंसान व हाथियों के बीच के भावनात्मक रिश्ते के सफर को 450 घंटों की फुटेज में कैद किया। सितंबर 2022 में गुनीत मोंगा के सहयोग से उनका यह सफर ख़त्म हुआ। ये 39 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री है। जिसे नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ किया गया।