देश की राजधानी दिल्ली में दो आवारा कुत्तों ने मार डाला दो सगे भाइयों को

देश की राजधानी दिल्ली में दो आवारा कुत्तों ने मार डाला दो सगे भाइयों को

 
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देश की राजधानी दिल्ली में दो दिन में दो सगे भाइयों को आवारा कुत्तों ने नोच- नोच कर मार डाला। बच्चों के शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि उनके शरीर के कई हिस्से लगभग कट चुके थे.आवारा कुत्तों के हमले में मारे गए सगे भाईयों के नाम आनंद व आदित्य हैं। जो साउथ दिल्ली के वसंत कुंज इलाके के सिंधी कैंप में रहता था। वन विभाग की जमीन पर बने सिंधी कैंप इलाके में झुग्गियां हैं।

एक मार्च को बड़े भाई पर कुत्तों ने हमला कर दिया था

दिल्ली पुलिस ने बताया कि 10 मार्च की सुबह करीब 10 बजे आनंद अपनी ताई के घर जाने के लिए निकला था, लेकिन काफी देर होने के बाद भी जब वह ताई के घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की.. आनंद का शव पड़ा मिला. शाम 5 बजे एक प्लॉट में। उसके शरीर पर कुत्ते के काटने और खरोंच के 20 से ज्यादा निशान थे।

12 मार्च को छोटे भाई की हुई थी हत्या उसके दो दिन बाद यानी 12 मार्च की सुबह आनंद का छोटा भाई आदित्य खुले में शौच के लिए गया था. यहां कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। शोर सुनकर परिजन मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक कुत्तों ने आदित्य को बुरी तरह घायल कर दिया था। परिजन उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

शरीर के कई अंग अलग हो गए थे

दिल्ली पुलिस ने बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम कराया है, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है. पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि कुत्तों ने बच्चों पर बुरी तरह हमला किया है. उसके शरीर के कई हिस्से लगभग कट चुके थे।

आवारा कुत्ते

दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा- आवारा कुत्तों को पकड़ने की जिम्मेदारी एमसीडी की है. आप सरकार अपना काम नहीं कर रही है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। नगर निगम में जब भाजपा की सरकार थी तो ऐसी घटना कभी नहीं हुई थी।

क्षेत्र के भाजपा पार्षद इंद्रजीत शेरावत ने कहा- मैंने एक महीने में कई बार एमसीडी से क्षेत्र से आवारा कुत्तों को पकड़ने की शिकायत की, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

जानिए क्यों आदमखोर हैं आवारा कुत्ते

कुत्तों को ह्यूमन फ्रेंडली कहा जाता है। पागल होने के बाद ही यह इंसानों को डराता है। बेगूसराय में स्ट्रीट डॉग्स के आदमखोर बनने की कहानी जानने के लिए दैनिक भास्कर ने विशेषज्ञों का पैनल बनाया। इसमें डॉक्टरों और पशु शोधकर्ताओं के साथ कुत्तों पर काम करने वाले वॉलंटियर्स को शामिल किया गया था। विशेषज्ञ ने इसके लिए बेगूसराय के उस इलाके की भौगोलिक स्थिति के साथ- साथ वहां जानवरों और मानव शरीरों के निपटान में लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।

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