Property dispute :- अगर नहीं लिखी गई है वसीयत तो ऐसे होगा जायदाद का बटवारा , जाने

Property dispute :- अगर नहीं लिखी गई है वसीयत तो ऐसे होगा जायदाद का बटवारा , जाने

 
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परिवारों के अंदर संपत्ति को लेकर विवाद हो जाते हैं। जब तक माता-पिता जीवित रहते हैं तब तक प्रॉपर्टी को लेकर विवाद की स्थिति नहीं बनती है लेकिन उनके देहांत के बाद विवाद होने लगते हैं। इसलिए माता-पिता जीवित रहते हुए ही बच्चों के बीच संपत्ति का बंटवारा कर देते हैं। अगर परिवार का मुखिया जीवित रहते हुए संपत्ति का बंटवारा नहीं कर पाए तो उनके देहांत के बाद प्रॉपर्टी का बंटवारा कैसे हो और उसे लेकर क्या नियम हैं। आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं। 

हिंदू-मुस्लिम में संपत्ति बंटवारे पर अलग-अलग नियम

देश में संपत्ति पर अधिकार को लेकर हिंदू और मुस्लिम धर्म में अलग-अलग नियम हैं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 में बेटे और बेटी दोनों का पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार माना जाता है। जब किसी हिन्दू व्यक्ति की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो जाती है तो उस व्यक्ति की सम्पत्ति को उसके उत्तराधिकारियों, परिजनों या सम्बन्धियों में कानूनी रूप से बांटा जाएगा।  

क्या है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956

संपत्ति को क्लास-1 के उत्तराधिकारियों (बेटा, बेटी, विधवा, मां, पूर्ववर्ती बेटे का बेटा आदि) में बाँट दिया जाता है। क्लास 1 में उल्लेखित उत्तराधिकारियों के नहीं होने की स्थिति में प्रॉपर्टी क्लास 2 ( बेटे की बेटी का बेटा, बेटे की बेटी की बेटी, भाई, बहन) के वारिस को दिए जाने का प्रावधान है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में बौद्ध, जैन और सिख समुदाय भी शामिल हैं। 

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बेटी को भी मिलता है हिस्सा 

पैतृक संपत्ति को लेकर पिता फैसले लेने के लिए स्वतंत्र नहीं है इसलिए प्रॉपर्टी पर बेटे और बेटी दोनों को बराबर अधिकार मिले हैं। पहले बेटी को प्रॉपर्टी में बराबर के अधिकार प्राप्त नहीं थे लेकिन 2005 में उत्तराधिकार अधिनियम में हुए महत्वपूर्ण संशोधन के बाद बेटियों को पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार दिए गए हैं। 

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