लिपस्टिक लगाने का हमारा जुनून अर्थव्यवस्था के बारे में बहुत कुछ कहता है

लिपस्टिक लगाने का हमारा जुनून अर्थव्यवस्था के बारे में बहुत कुछ कहता है

 
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यह शब्द लियोनार्ड लॉडर द्वारा 2001 की मंदी के दौरान गढ़ा गया था, जो एस्टी लॉडर कॉस के तत्कालीन अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि लिपस्टिक की बिक्री उस वर्ष की शरद ऋतु में बढ़ी, यह दर्शाता है कि अनिश्चित आर्थिक वातावरण का सामना करने वाली महिलाएं एक किफायती उपचार के रूप में सौंदर्य उत्पादों की ओर मुड़ती हैं। फिर 2008-2009 के वित्तीय संकट ने फाउंडेशन इंडेक्स को जन्म दिया, क्योंकि महिलाओं ने एक परिपूर्ण पाउट पर निर्दोष त्वचा को प्राथमिकता दी।सुनिश्चित करने के लिए, मेकअप की बिक्री फलफूल रही है। जैसे ही मुखौटे उतरते हैं, लिपस्टिक अमेरिका और यूरोप दोनों में, और मुख्यधारा और प्रीमियम बाजारों में आगे बढ़ रही है।आर्थिक विचार एक भूमिका निभाते हैं।

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उपभोक्ताओं का भरोसा टूटने के बावजूद बिक्री बढ़ी है। और बढ़ती लागत से सौंदर्य कम प्रभावित होता है। पैकेजिंग के अलावा, मेकअप बनाने में ऊर्जा एक अपेक्षाकृत छोटा घटक है, और उत्पाद महंगे शिपिंग कंटेनरों में बहुत कम जगह लेते हैं। एनपीडी समूह के अनुसार, जनवरी से 27 अगस्त की अवधि में वसा मार्जिन के बफर में जोड़ें, और अमेरिकी प्रीमियम सौंदर्य उत्पादों की औसत कीमत साल-दर-साल केवल 2% बढ़ी। इसकी तुलना अमेरिका में जुलाई में भोजन में 10.9% और परिधान में 5.1% मुद्रास्फीति की हेडलाइन दर से करें।

इन प्रोडक्‍ट की बिक्री भी देती है मंदी की आहट
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अर्थशास्त्रियों ने सिर्फ लिप्स्टिक ही नहीं अन्‍य प्रोडक्‍ट की बिक्री को लेकर भी मंदी के संकेत दिए हैं। 1970 के दशक में एलन ग्रीनस्‍पैन ने बाजार में अंडरवियर की बिक्री घटने पर मंदी का संकेत दिया था। उन्‍होंने कहा था कि बाजार में जब अंडरवियर की बिक्री घटने लगे तो इस बात का संकेत मिलता है कि अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर नहीं है। ऐसे पता चलता है कि उपभोक्‍ता अंडरवियर जैसी चीजों पर खर्च करने से बच रहे हैं. इस समय सिर्फ उन्‍हीं चीजों पर पैसे लगाने हैं, जो बेहद जरूरी होंगे।
फिर बढ़ने लगी है लिप्स्टिक की बिक्री
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अमेरिका और यूरोप में मंदी की आशंका के बीच बढ़ती लिप्स्टिक की बिक्री एक बार फिर बुरे संकेत दे रही है. महामारी के बाद रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने ग्‍लोबल इकोनॉमी को बहुत नुकसान पहुंचाया है, ऊपर से महंगाई का दबाव और परेशान कर रहा. ऐसे में यूरोप और अमेरिका में लिप्स्टिक की बिक्री के बढ़ते आंकड़े फिर चिंता का सबब बन रहे हैं. इकोनॉमिस्‍ट को आशंका है कि महंगाई को थामने के लिए धड़ाधड़ बढ़ाई जा रही ब्‍याज दर एक बार फिर मंदी के आने का कारण न बन जाए।

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