सफाई का काम करती थी मां, बेटे ने जेईएन बनकर बदली किस्मत

ये कहानी एक ऐसे युवा की है जिसके सर से महज सात साल की उम्र में पिता का साया उठ गया. मां को घर चलाने के लिए सफाई का काम करना पड़ा. चार साल बड़े भाई को स्कूल छोड़नी पड़ी क्योंकि उनकी मां दोनों की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकती थी. इसलिए बड़े भाई ने छोटी सी उम्र में मां के साथ मजदूरी कर छोटे भाई को पढ़ाया और आखिरकार वह दिन आ ही गया जब उसका बेटा सरकारी अधिकारी बन गया.
अनिल डुलगच झुंझुनूं शहर की वाल्मीकि बस्ती का रहने वाला है। अनिल ने राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा पास की है जिसके बाद उनका चयन स्वायत्त शासन निकाय के जेईएन के पद पर हो गया है . अनिल जब 7 साल का था तब पिता किशनलाल डुलगच का निधन हो गया था।
अनिल ने पढ़ाई एक सरकारी स्कूल से की . 12वीं पास करने के बाद अनिल ने बीटेक की डिग्री हासिल की. पार्ट टाइम जॉब कर के किताबें खरीदीं और फीस भरी. बीटेक करने के बाद अनिल ने जैसे तैसे करके कोचिंग में दाखिला लिया . उसने दिल्ली में कोचिंग में एडमिशन लिया जहाँ साल के 2 लाख रुपए खर्च होते थे . फीस के लिए अनिल ने प्राइवेट कंपनी में जॉब किया. इसके बाद प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए और सफल हो गए।
अनिल ने अपनी पूरी सफलता का श्रेय अपने मां और परिवार को दिया है. अनिल का कहना है कि जिन्दगी में कामयाबी आसानी से नहीं मिलती है. इसके लिए मेहनत के साथ हौंसला होना जरुरी है.