जानिए क्यों लगाया जा रहा है टूटे हुए चावलों के निर्यात पे रोक

जानिए क्यों लगाया जा रहा है टूटे हुए चावलों के निर्यात पे रोक

 
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सरकार ने फैसला किया है कि यदि कोई गैरकानूनी तरीके से चावल निर्यात करता है तो उस पर 20 फ्रिजडीएक्स को ड्यूटी लगाई जाएगी। इसके साथ-साथ सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए टूटे हुए चावलों का निर्यात करना भी बंद कर दिया है। कहा जाता है कि भारत के कुल चावलों के निर्यात में से 60 फीट थी चावल टूटे हुए चावलों की है। पिछले कुछ दिनों पहले भारत ने टूटे हुए चावलों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। भारत के इस फैसले से चीन में खाद्य संकट उत्पन्न होता दिखाई दे रहा है।

चीन में टूटे हुए चावलों का प्रयोग नूडल्स, शराब, पेशुए के चारे के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है। सुनने में आया है कि भारत उठे हुए चावलों का निर्यात अफ्रीका में भी करता है। परंतु इस पदार्थ का सबसे बड़ा खरीददार तो पड़ोसी देश चीन ही है। कहा जा रहा है कि 2021 में चीन ने भारत से 1.1 टन के चावल का आयात किया था। भारत में 2021 में कुल 21.5 टन चावल का निर्यात किया गया था।

भारत की निर्यात के आंकड़े पाकिस्तान ,वियतनाम ,थाईलैंड और अमेरिका के आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। यह जो सरकार ने प्रतिबंध लगाया है उसके कारण भारत टूटे हुए चावलों की कीमत बढ़ सकती है। इससे खाद्य महंगाई दर में इजाफा हो सकता है। रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण देश पहले से ही खाद्य पदार्थों के संकटों का सामना कर रहा है।

पुरुष के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद में गेहूं और मक्के की कीमत में भी उछाल आया था। ऐसे में से टूटे हुए चावल ही सहारा बने थे। परंतु अब निर्यात पर रोक लगाने के फैसले से अब इसमें भी संकट दिखाई देने लगा है।

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