Hit The First Case movie Review -समलैंगिकता के हादसे से मर्डर मिस्ट्री का मजा खराब, जाने मिले कितने स्टार

सिनेमा के नए नायकों के लिए कर्म ही पूजा है फिल्म ‘हिट द फर्स्ट केस’ का विक्रम kabir film के kabir की फोटोकॉपी सा दिखता है वह बाजी हाथ से निकलते देख गुस्सा होता है टेबल पर रखा सामान फेंकता है लगातार ताने कसने वाले सहयोगी पर हाथ उठाता है सारा काम अपने अधीनस्थ से कराता है और खुद को एक ‘जेम्स बॉन्ड’ की तरह पेश करता है सिर्फ हवा सूंघ कर वह कातिल का पता लगाने निकल पड़ता है
दो साल पहले तेलुगू में रिलीज हुई फिल्म ‘हिट द फर्स्ट केस’ की हिंदी रीमेक की कहानी में लेखक निर्देशक शैलेश कोलानू ने फेरबदल किया है फिल्म के क्लाइमेक्स तक पहुंचते पहुंचते समलैंगिक रिश्तों का जिक्र आ जाता है कहानी इस बार तेलंगाना से निकलकर राजस्थान आई है निर्देशक को लगता है कि शायद फिल्म का वातावरण देखकर दर्शक घटनाओं की भौगोलिक स्थिति समझ न पाए तो किरदारों से मारवाड़ी में संवाद भी बुलवा लिए हैं
कहानी वही है ओरिजिनल जैसी मानसिक आघात से गुजर रहे पुलिस अफसर विक्रम की महिला मित्र लापता हो जाती है जिसके बार बार कहने पर वो दो महीने की छुट्टी लेकर एकांतवास कर रहा था एक किशोरी पहले से गायब है दोनों हादसों के तार जुड़ते दिखते हैं और सस्पेंस ड्रामा का एक अच्छा आधार तैयार करने में शैलेश कामयाब रहते हैं नेटफ्लिक्स वाले फिल्म खरीद लें इसके चक्कर में उन्होंने फिल्म के क्लाइमेक्स का कबाड़ा कर दिया है जो फिल्म मर्डर मिस्ट्री होनी चाहिए थी उसमें कत्ल तो किसी का होता ही नहीं है मूल फिल्म में जो चौंकाने वाला कातिल है वह यहां पूछताछ में ही सामने आ जाता है मूल फिल्म में वीडियो संदेश छोड़ता है यहां वह अपने मन की बात डायरी में लिखकर जाता है
फिल्म की पृष्ठभूमि राजस्थान की झलकियां दिखाने की कोशिश करती है लेकिन राजस्थान इससे कहीं अधिक खूबसूरत है सिनेमाघरों में जाकर फिल्म ‘हिट द फर्स्ट केस’ राजकुमार राव के लिए तो देखी जा सकती है लेकिन इसका क्लाइमेक्स ऐसा नहीं है जो दर्शकों को हिलाकर रख दे