Chhatriwali Movie Review - यौन शिक्षा पर बनी एक बेहतरीन फिल्म , देखें रिव्यु

महिला प्रधान विषयों पर हमारा समाज खुलकर बात नहीं करता है। मानसिकता अब भी वही गांव वाली है। जीव विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक भी प्रजनन अंगों वाला पाठ जल्दी जल्दी पढ़ाकर निकल जाते हैं। फिल्म ‘छतरीवाली’ की खूबी यही है कि वह सिर्फ कंडोम के इस्तेमाल की जरूरत की ही बात नहीं करती बल्कि समस्या को सिरे से पकड़ती है।
यौन शिक्षा का जरूरी पाठ
फिल्म ‘छतरीवाली’ देश में यौन शिक्षा की कमी से जूझते बच्चों के लिए है जिसे हर स्कूल में पढ़ाया जाना अनिवार्य तो है लेकिन उसे पढ़ाना कम लोग ही चाहते हैं। फिल्म ‘जनहित में जारी’ की लीक पर ही शुरू होती है। शुरू शुरू में लगता है कि ये उसी कहानी पर बनी एक और फिल्म है।
राह दिखाने की प्रशंसनीय पहल
यौन शिक्षा से जुड़ी फिल्मों के साथ समस्या ये भी रहती है कि वर्जित विषयों की तरह ये फिल्में भी समाज में वर्जित फिल्मों की श्रेणी में पहुंचा दी जाती हैं। पिछले साल जून में सेंसर सर्टिफिकेट पाने वाली फिल्म ‘छतरीवाली’ अब रिलीज हो रही है। वह भी ओटीटी पर। सरकार इस तरह की फिल्मों को टैक्स फ्री करने के साथ साथ इनके प्रदर्शन को सिनेमाघरों में अनिवार्य कर सकती थी। स्कूल जाने वाले बच्चों को अगर सौ पचास रुपये में ऐसी फिल्म देखने को मिले तो वह क्यों नहीं देखेंगे कोई राह दिखाने वाला तो हो। फिल्म ‘छतरीवाली’ की नायिका यही राह बनाती है।
स्कूलों में मुफ्त दिखाए जाने लायक फिल्म
फिल्म ‘छतरीवाली’ के कलाकारों ने अच्छा काम किया है। डॉली अहलूवालिया, सतीश कौशिक, प्राची शाह और रिवा अरोड़ा भी अपने अपने किरदार में प्रभावी हैं। फिल्म ‘छतरीवाली’ एक ऐसी फिल्म है जिसे किशोर बच्चों को जरूर देखने के लिए कहना चाहिए। हो सके तो राज्य सरकारों को ये फिल्म सारे जूनियर हाई स्कूलों में मुफ्त में दिखाने की पहल करनी चाहिए।