How-in-ancient-india-ice-made- जब नहीं था फ्रीजर तब कहा से आती थी आइसक्यूब , अमेरिका से बर्फ मंगा एक व्यापारी बना करोड़पति

क्या आपने कभी सोचा है कि प्राचीन भारत में जब बर्फ जमाने की मशीनें नहीं थीं और ना ही उन्हें लंबे समय तक स्टोर कर पाने के साधन थे तो उस समय देश में बर्फ का इस्तेमाल कैसे होता होगा। ये कैसे और कहां से आती थी। कैसे इसको लंबे समय तक रखा जाता था। इसकी कहानी काफी दिलचस्प है।
पहाड़ों से आते थे बर्फ के टुकड़े
पहले पानी को कृत्रिम रूप से जमाने का कोई तरीका नहीं था। लोग सर्दियों के दौरान पहाड़ों और जल निकायों में प्राकृतिक रूप से बनी बर्फ पर निर्भर रहते थे। राजा-महाराजा पहाड़ों से बर्फ के टुकड़े मंगवाते थे। भारत में मुगल बादशाह हुमायूं ने 1500 में कश्मीर से बर्फ को तोड़कर उसकी सिल्लियों का आयात करना शुरू किया। फिर मुगल राजा फलों के रस को पहाड़ों पे भेजते थे। वहां उन रसों को जमाकर शर्बत बनाते थे। फिर इसे गर्मियों में पीते थे।
कैसे सैकड़ों मील दूर से मंगाई जाती थी
मुगलों के दौर में बर्फ को पिघलने से रोकने के लिए उस पर पोटेशियम नाइट्रेट छिड़का जाता था। अकबर के शासन काल में हिमालय की वादियों से बर्फ़ लाई जाती थी। आगरा से हिमालय पर्वत करीब 500 मील दूर है। इसके लिए हाथी, घोड़ों और सिपाहियों की सहायता ली जाती थी।
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कैसे बनाई गई पहली पानी से बर्फ जमाने की मशीन
वेन पियर्स और उसके सहयोगियों ने 14 मार्च 1950 में एक मशीन बनाई जो बर्फ बनाती थी। 1956 में उन्होंने अपनी कंपनी और स्नोमेकिंग मशीन के पेटेंट अधिकार एम्हार्ट कॉर्पोरेशन को बेच दिए। इसके बाद जेम्स हैरिसन ने 1851 में पहली बर्फ बनाने की मशीन बनाई। मशीन बनाने के लिए उसने ईथर वाष्प संपीड़न का उपयोग किया। हैरिसन की मशीन रोज 3,000 किलोग्राम बर्फ बना सकती थी।