Pagphera - क्यों होती है शादी के बाद पगफेरे की रस्म ?

Pagphera - क्यों होती है शादी के बाद पगफेरे की रस्म ?

 
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हिंदू शादी में बहुत सारे रीति-रिवाज होते हैं। जिनमें से एक है पगफेरे की रस्‍म। इस रस्म को शादी के तुरंत बाद निभाया जाता है। यह रस्म खास दुल्‍हन के लिए बहुत ज्यादा मायने रखती है। इस रस्म के अपने धार्मिक महत्व भी होते हैं। जिनका लाभ दुल्‍हन के मायके पक्ष के लोगों को मिलता है। आज हम आपको इस रस्म से जुड़े कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍य बताएंगे। 

क्या होती है पगफेरा रस्म?

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पगफेरे की रस्म शादी के बाद दुल्‍हन के मायके पक्ष के लोगों द्वारा निभाई जाती है। इस रस्म में माता-पिता अपनी बेटी को घर बुलाते हैं। उससे ससुराल का हालचाल लेते हैं। फिर उसे भोजन करा कर दोबार ससुराल के लिए विदा कर देते हैं। 

क्या होता है पगफेरे का धार्मिक महत्व? 

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पगफेरे की रस्म में दुल्हन को शादी के दूसरे ही दिन या जिस दिन विदाई होती है उसी रात में पगफेरे के लिए अपने पीहर जाना होता है। इस रस्म का भी बहुत अधिक महत्व होता है। कहा जाता है कि गई हुई लक्ष्‍मी जब घर वापस आती है तो अपने साथ धन और धान्य भी लेकर आती है। बेटी के सत्कार के लिए माता-पिता अपनी क्षमता के अनुसार सब कुछ करते हैं जो उसे खुशी दे सकता है। बेटी के साथ इस रस्म में दामाद को भी बुलाया जाता है और उसका भी सत्कार किया जाता है। 

अलग-अलग जगह भिन्न होते हैं रीति-रिवाज 

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बनियों में पगफेरे की रस्म में लड़की को शादी के दूसरे ही दिन ससुराल से मायके जाना होता है। इस रस्म के लिए लड़की के भाई-बहन उसे लेने जाते हैं। ऐसी मान्यता है लड़की के आने से घर में लक्ष्‍मी का आगमन होता है और घर धन-धान्य से भर जाता है। 

पंजाबियों में इसे फेरा डालना या फेरा पौणा रस्म कहा जाता है। इस रस्म में बेटी शादी के ठीक दूसरे दिन या फिर विदाई के तुरंत बाद अपने मायके आती है। भाई बहन को लेने जाता है, पति वापस से अपनी दुल्हन को घर ले आता है। घर में दामाद और बेटी के आने पर उन्हें शगुन दिया जाता है। 

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