क्यों दिवाली की रात जमीकंद की सब्जी बनाई जाती है?

चलिए जानते हैं कि दिवाली की रात भोजन में जमीकंद या सूरन की सब्जी क्यों बनाई जाती है। दिवाली के त्यौहार पर घर में तरह-तरह के पकवान बनते हैं इनमें से एक जमीकंद या सूरन सब्जी भी बनाई जाती है और यह सब्जी बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिस तरह से होली पर गुजिया मकर सक्रांति पर खिचड़ी और ईद पर सेवइयां बनती है उसी तरह से दिवाली की रात जिमीकंद की सब्जी बनाना शुभ माना जाता है।
सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा बनारस और पूर्वांचल के कुछ शहरों में है. मान्यता है कि इस दिन अगर सूरन की सब्जी न खाई जाए तो अगले जन्म में छछूंदर बनते हैं. हालांकि इसे खाने के पीछे की वजह अगर सेहत से जोड़कर देखी जाए तो इसका अलग ही महत्व है।
यदि आप जिमीकंद की सब्जी को जड़ से काट कर निकालते हैं तो वह उड़ जाती है इस वजह से जमीन कंद की सब्जी को दीवाली के दौरान धन के भंडार जय सुख समृद्धि के रूप में देखा जाता है इसकी वजह से दिवाली की रात यह सब्जी बनाई जाती है। सब्जी बनाने के पीछे मान्यता है की यह सब्जी दिवाली की रात बनाने से घर धन संपदा और सुख समृद्धि से भर जाता है और कब की धन की कमी नहीं होती।
यदि जमीकंद के बारे में बताया जाए तो यह एक कंद के रूप में होती है और अक्सर अपने आप ही उठ जाती हो इस सब्जी के बहुत से फायदे भी है कि यह एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है और बीमारी में भी खाया जा सकता है जिस के अलग फायदे भी होते हैं।लोग अन्य दिनों में भी जमीकंद की सब्जी खाना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं जिसकी वजह से यह कई तरह की दिक्कतों को दूर करता है इसका सेवन काफी अच्छा और मददगार माना जाता है।