टॉयलेट सोप और बाथ सोप के बीच होता है यह बड़ा फर्क, भूलकर भी ना इस्तेमाल करें इन दोनों को एक दूसरे की जगह पर

टॉयलेट सोप और बाथ सोप के बीच होता है यह बड़ा फर्क, भूलकर भी ना इस्तेमाल करें इन दोनों को एक दूसरे की जगह पर

 
.

टॉयलेट में इस्तेमाल होने वाले साबुन और नहाने के साबुन में बहुत फर्क होता है। हो सकता है कि दिखने में दोनों एक जैसे दिखते होंगे। लेकिन नहाने के लिए टॉयलेट साबुन का इस्तेमाल करना हानिकारक होता है। शौचालय के बाद आप अपने हाथ धोने के लिए जिस साबुन और तरल का उपयोग करते हैं, वह हार्श हैं। भले ही उन्मे अच्छी खुशबू आ रही हो। लेकिन इनमें इस्तेमाल होने वाले केमिकल का इस्तेमाल आपके हाथों को सुरक्षित रख सकता है।

उनमें स्नान करना ठीक नहीं होगा। साबुन को उनके अवयवों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। साबुन में एक TFM पैरामीटर होता है जिसे टोटल फैटी मैटर कहा जाता है। इसी के आधार पर साबुन की गुणवत्ता निर्धारित की जाती है। उसी ग्रेडिंग के अनुसार यदि ग्रेड 1 को छोड़ दिया जाए तो बाकी ग्रेड साबुन टॉयलेट साबुन की श्रेणी में आ जाएंगे। जो भी साबुन ग्रेड 1 कैटेगरी में आएगा, वो नहाने के साबुन की श्रेणी में आएंगे। ग्रेड 1 साबुन में अधिक TFM होता है। यह आपके शरीर को सॉफ्ट बनाता है।

आपने कई सफेद और थोड़े महंगे साबुन में अंतर महसूस किया होगा। इन साबुनों में मॉइस्चराइजिंग के लिए कई अलग-अलग प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है। वहीं बच्चों के लिए विशेष साबुन तैयार किए जाते हैं।टॉयलेट साबुन में अक्सर नहाने के साबुन की तुलना में वसा की मात्रा अधिक होती है।

इन दोनों प्रकार के साबुनों में सफाई और मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। संक्षारक एसिड को धोने और आपकी त्वचा को मुंहासों से बचाने की क्षमता रखता है। लेकिन हाथ धोने के साबुन कठोर होते हैं और नहाने के साबुन नरम होते हैं। नहाने के साबुन दो प्रकार से तैयार किए जाते हैं जिन्हें फैटी एसिड के कैल्शियम या पोटेशियम लवण के रूप में माना जा सकता है। 

From Around the web