Tea - चांदी के बदले खरीदी जाती, जाने कैसे भारत में हुई चाय की शुरुआत

Tea - चांदी के बदले खरीदी जाती, जाने कैसे भारत में हुई चाय की शुरुआत

 
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भारतीयों की सुबह चाय के साथ होती है। सुबह-सुबह कड़क चाय मिल जाने के बाद लोग अपने दिन की शुरुआत करते हैं। क्या आपको चाय के इतिहास के बारे में जानकारी है। यदि नहीं है तो हम आज आपको चाय के इतिहास के बारे में जानकारी देंगे।

चीन में हुई थी चाय की खोज

चाय चीन की देन है। चाय की खोज ईसा पूर्व 2737 में चीन के सम्राट शेननंग ने की थी। वह अक्सर उबला पानी पीते थे। वह एक बार जंगल से गुजर रहे थे। रास्ते में आराम के दौरान पीने के लिए पानी उबाला जा रहा था। इस बीच बर्तन में पेड़ की कुछ पत्तियां आ गिरी जिससे पानी का रंग बदल गया। जब इसे पिया तो पीने में ताजगी महसूस हुई जिसे बाद में चाय कहा गया।  पहले चाय की पत्तियों को खाया जाता था लेकिन बाद में जब इसे पानी के साथ उबाला गया तो इसका स्वाद बदला और ताजगी महसूस हुई जिसके बाद चाय की पत्तियों को पानी के साथ उबालकर पिया जाने लगा। 

सोना-चांदी के बदले खरीदी जाती थी चाय

15वीं शताब्दी में पुर्तगाली, डच, फ्रेंच और ब्रिटिश सौदागर चीन पहुंचे थे। उन्होंने यहां से चाय को अपने देशों तक पहुंचाया। शुरुआत में हर व्यक्ति चाय नहीं पी सकता था। केवल कुछ शाही परिवार ही इसका स्वाद लेते थे। उस समय इसकी कीमत बहुत अधिक हुआ करती थी। उस समय चाय चीन के अलावा ये कहीं भी नहीं उगती थी। 

भारत ने भी चीन से चाय ऐसे ही एक सौदा कर के ली थी। भारत से अफीम चीन में जाती और वहां से चाय आती। लेकिन बाद में अफीम जाना बंद हो गई और वहां से चाय भी आना बंद हो गई। 1838 में जब चीन में अफीम तस्करों के लिए मौत की सजा तय हुई तब यह संकट भारत में चाय के उत्पादन का कारण बना।alsoreadजानिए कौन-कौन सी सब्जियां हमें फ्रिज में रखनी चाहिए और कौन सी नहीं 

असम में शुरू किया गया था पहला टी गार्डन

अंग्रेजों ने 1837 में असम के चौबा क्षेत्र में पहला इंग्लिश टी गार्डन शुरू किया। इसके बाद भारत में भी चाय का उत्पादन शुरू हो गया था। इसके साथ ही अंग्रेजों ने श्रीलंका में भी चाय का उत्पादन शुरू किया था। वर्तमान समय में चाय चीन के अलावा करीब 52 देशों में पी जाती है। जब शुरुआत में चाय का उत्पादन शुरू हुआ था तब भारतीय चाय का विरोध करते थे। कुछ गांव वाले अपने बच्चों को चाय का सेवन नहीं करने देते थे। समय के साथ दौर बदला और चाय अधिकांश भारतीयों के जीवन का हिस्सा बन गई।

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