भारत का कोहिनूर ही नहीं, ये 4 बेशकीमती चीजें भी लूटी हैं ब्रिटेन ने

ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ-2 की मौत (Queen Elizabeth II's demise) के बाद सोशल मीडिया पर कोहिनूर हीरे की बहुत चर्चा हो रही है। ट्विटर पर लोगों ने यूके से भारत को कोहिनूर हीरा (Kohinoor diamond ) लौटाने की मांग की है। ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह कीमती हीरा जो अब तक क्वीन के ताज में जड़ा था, अब भारत को लौटा देना चाहिए। बता दे कि सिर्फ भारत का कोहिनूर हीरा ही नहीं, ऐसी कई बेशकीमती चीजें हैं, जिसे ब्रिटेन ने औपनिवेशिक शासन के दौरान दूसरे देशों से लूट लिया था। दुनिया का सबसे मशहूर हीरा टावर ऑफ लंदन के जेवेल हाउस में रखा हुआ है। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा की खान से इस बेशकीमती हीरे को खोजा गया था।
समय के साथ अलग-अलग शासकों की शोभा बढ़ाने के बाद ये हीरा 1813 में महाराजा रणजीत सिंह के पास पहुंचाया गया था। 1839 में जब रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई थी, उसके बाद 1843 में दलीप सिंह को पंजाब का राजा बना दिया गया था। अंग्रेजों ने युद्ध करके उसमें हराकर कोहिनूर पर कब्जा कर लिया और उसे ब्रिटेन भेज दिया। रानी की कई बेशकीमती संपत्तियों में 'अफ्रीका का महान सितारा' हीरा शामिल है जो कि स्पष्ट रूप से दुनिया का सबसे बड़ा हीरा है।
इस हीरे का वजन लगभग 530 कैरेट है। इसकी कीमत लगभग 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर बताई जाती है। 1905 में, ये दक्षिण अफ्रीका में खनन के दौरान मिला था। अफ्रीका के कई इतिहासकारों के मुताबिक, ये हीरा एडवर्ड सप्तम को पेश किया गया था। ब्रिटिश सरकार द्वारा उपनिवेशवादियों के रूप में उनके शासनकाल के दौरान इसे लूट लिया गया था। 1799 में अंग्रेजों के खिलाफ हुई लड़ाई हारने के बाद टीपू सुल्तान की अंगूठी कथित तौर पर उनके शरीर से ले ली गई थी।
कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस अंगूठी को ब्रिटेन में एक नीलामी में एक अज्ञात बोली लगाने वाले को लगभग 1,45,000 ब्रिटिश पाउंड में बेचा गया था। मिस्र के कार्यकर्ता और पुरातत्वविद रोसेटा स्टोन को उसकी मातृभूमि यानी मिस्र में वापस लाने की इच्छा रखते हैं। रोसेटा स्टोन अभी ब्रिटिश संग्रहालय में है। रोसेटा स्टोन 196 ईसा पूर्व का बताया जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक, 1800 के दशक में फ्रांस के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद प्रसिद्ध पत्थर ब्रिटेन द्वारा अधिग्रहित किया गया था। इतिहास में कई मीडिया रिपोर्टों और अभिलेखागार के मुताबिक, 1803 में लॉर्ड एल्गिन ने कथित तौर पर ग्रीस में पार्थेनन की सड़ती दीवारों से पत्थरों को हटा दिया था और उन्हें लंदन ले जाया गया था। यही कारण है कि उन कीमती पत्थरों को एल्गिन मार्बल्स के नाम से जाना जाता है। 1925 से, ग्रीस अपना अमूल्य पत्थर मांग रहा है जो कि ब्रिटिश संग्रहालय में हैं।