Narak Chaturdashi - नरक चतुर्दशी के दिन इन जगहों पे मनाया जाता है अजीबो गरीब भूत उत्सव

हर साल कार्तिक माह की अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को है। दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
नरक चौदस के दिन मां काली की पूजा करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन यम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का योग भी टल जाता है। हमारे देश में कई ऐसे स्थान हैं जहां इस दिन अघोरी तांत्रिक क्रियाएं कर मां काली से सिद्धि प्राप्त करने का आशीर्वाद मांगते हैं। कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां इस दिन को भूत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इन स्थानों पर भूतों का मेला लगता है। आइये जानते हैं इन जगहों पे मनाए जाने वाले इस अजीबो-गरीब उत्सव के बारे में।
अयोध्या
नरक चतुर्दशी के दिन शाम के बाद यहां तांत्रिक क्रियाओं के लिए तांत्रिकों या अघोरियों का जमावड़ा लगता है। तंत्र साधना से तांत्रिक भूतों को बुलाते हैं। इसी कारण से इस संपूर्ण क्रिया को भूत उत्सव के रूप में जाना जाता है।
गुजरात
यहां दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी की रात को जलते दीपक की लौ को किसी अन्य बर्तन से ढका जाता है। जब यह लौ उस बर्तन पर बार- बार लगती है तो उससे उस बर्तन पर काजल आ जा ता है। इस काजल से अघोरी भूत पिशाचों को अपने वश में कर अपने पास बुलाते हैं। समुद्र तट के किनारे नरक चतुर्दशी पर यह नजारा देखने लायक होता है। वहां मौजूद लोगों को भूतों के होने का एहसास तक हुआ है। also read:- क्यों बॉडी बिल्डर कर रहे है फ्रोजन मदर मिल्क की मांग?
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में नरक चौदस को काली चौदस के नाम से जाना जाता है। इस दिन बंगाल में स्थित दक्षिणेश्वर और कालीघाट मंदिर में भक्तों का भारी जमावड़ा देखने को मिलता है। नरक चतुर्दशी के दिन सैकड़ों अघोरियों के एक साथ पूजा और अनुष्ठान करने को ही भूत उत्सव कहा जाता है।