जानिए रावण के 10 सर होने के पीछे का रहस्य,देश में है एक ऐसी जगह जहा मनाया जाता है दशहरा को दुख के रूप में

रावण के 10 सिर के बारे में बात करते हुए रावण, हमारी आंखों के सामने 10 सिर स्वतः ही प्रकट हो जाते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण के 10 सिर के पीछे क्या राज है। आइए आज हम आपको बताते हैं रावण के 10 सिर के पीछे की क्या कहानी है।वास्तव में रावण के 10 सिर थे या नहीं, इसको लेकर दो तरह की मान्यताएं हैं।हर कोई अलग अलग अनुमान लगा रहा है।
कुछ लोगों का कहना है कि रावण के 10 सिर नहीं थे। वह सिर्फ 10 होने का भ्रम पैदा करता था। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि वह 6 दर्शन और 4 वेदों का ज्ञाता था, इसलिए उसके 10 सिर थे। दस सिर होने के कारण रावण को दशंती भी कहा जाता है।मान्यताओं के अनुसार रावण के 10 सिर बुराई के प्रतीक थे। इन 10 शीर्षों के भी अलग-अलग अर्थ हैं। इसमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, घृणा, पक्षपात, अहंकार, व्यभिचार और छल शामिल हैं।
रावण 9 रत्नों की एक माला पहनता था शास्त्रों में वर्णित है कि रावण अपने गले में 9 मोतियों की माला धारण करता था। कहा जाता है कि रावण इन मालाओं को सिर दिखाकर सबको भ्रमित करता था।पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। ऐसे में रावण ने उसे प्रसन्न करने के लिए काफी तपस्या की।
एक बार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपना सिर बलिदान कर दिया था।भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां रावण दहन पर शोक मनाया जाता है। यहां रावण की भी पूजा की जाती है। यह उस गांव के लोगों के लिए शोक का दिन है। यह जगह मध्य प्रदेश में विदिशा के पास नटेरन नाम का एक गांव में स्तिथ है।रावण, जिसे सर्वोच्च दानव कहा जाता था, ब्रह्मा का प्रपौत्र था।