जानिए मुग़ल सल्तनत की सबसे अमीर शहजादी के बारे में जो खुद को मानती थी फ़क़ीर

जानिए मुग़ल सल्तनत की सबसे अमीर शहजादी के बारे में जो खुद को मानती थी फ़क़ीर

 
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मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की सबसे बड़ी संतान शहजादी जहाँआरा को भारत ही नहीं ,दुनिया की सबसे अमीर महिला के रूप में जानते है .इतिहास में भी साफतौर पर इसके बारे में जानकारी दी गयी है .किताब 'डॉटरऑफ द सन ' की लेखिका और फेमस इतिहासकार एरा मखोती का कहना है की ,उस दौर में जब पक्ष्मी देशो के लोग भारत आते थे तो यह देखकर ताज्ज्जुब करते थे की भारतीय महिलाओ के पास उनके देशो के मुकाबले कही ज्यादा अधिकार थे 

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जहाँआरा के बारे में बात करते हुए वह कहती है ,मुग़ल शहजादी कितनी अमीर थी इतिहास में अलग अलग तरीके से इसका कई बार जिक्र किया गया है .जेसे उनके पास कई जागीरे थी.शाहजहाँ की मोत के बाद उनकी सम्प्पति का आधा हिस्सा जहाँआरा को मिला.बाकी आधा हिस्सा सभी बेटो को बाटा गया .

खबरों के अनुसार इतिहास में एक समय ऐसा था जब जहाँआरा को पादशाह बेगम बनाया गया.यह मुग़ल साम्रज्य का बड़ा पद होता है .जिस दिन जहाँआरा को ये उपाधि दी गयी उस दिन उन्हें एक लाख अशफरिया दी गयी .इसके अलावा चार लाख रूपये सालाना ग्रांट के तोर पर दी गयी .रकम केअलावा उन्हें कई बाग़ ,सफपुर,दोहरा और पानीपत का परगना उनकी रोयास्त में जोड़ा गया .उन्हें सूरत का अधिकार भी दिया गया .

बादशाह शाहजहाँ को किस हद तक जहाँआरा से स्नेह था इतिहास में इसका जिक्र है .6 अप्रेल 1644 को जहाँआरा आग से झलस गयी थी .वह इतनी गंभीर थी की आठ महीने तक बिस्तर पर रही .जब वह ठीक हुई तो बादशाहः ने खुश होकर केदियो को रिहा किया ,गरीबो को पैसे बाटे.ये झस्न आठ दिन तक चला शाहजहाँ इतने खुश थे की शहजादी को 130 मोती के साथ पांच लाख रूपये के कंगन तोफे में दिए .इतना ही नहीं जिस वेध ने शहजादी का इलाज किया शाहजहाँ ने उसे भी मालामाल कर दिया .बेटी के इलाज करने के एवज में उसे 200 घोड़े ,हाथी 500 टोले वजन के बराबर अशर्फी के अलावा कई चीजे भी दी .

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फरवरी 1633 में भाई दारा शिकोह और नादिरा बेगम की शादी हुई .उस दौर में शिकोह की शादी में कुल 32 लाख रुपए का खर्च आया था .इसे इतिहास की सबसे महंगी शादी माना गया है .जहाँआरा अपने भाई शिकोह से काफी प्यार करती थी इसलिए उन्होंने इस शादी को जबरदस्त तरीके से करने में कोई कमी नहीं छोड़ी .वही जहांआरा मुगलकाल की सबसे अमीर शहजादी रही है ,लेकिन वि जीवनभर खुद को फ़क़ीर मानती ही .आग लगने की घटना के बाद उनका झुकाव सूफी विचरधारा की तरफ बढ़ा.इतिहासकारो का मानना है की जहाँआरा अपनी माँ मुमताज से भी कहि ज्यादा खूबसूरत थी 

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