जानिए भारत के एक ऐसी जगह के बारे जहां महिलाओं को नही है बाल काटने की इजाजत

जानिए भारत के एक ऐसी जगह के बारे जहां महिलाओं को नही है बाल काटने की इजाजत

 
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हिंदू धर्म में जहां बच्चे के पैदा होने के कुछ महीने बाद मुंडन करने की प्रथा है वही एक ऐसा धर्म भी है जिसके तहत लड़कियों को बचपन से लेकर आखिरी सांस तक बाल काटने की इजाजत नहीं है। सिर्फ यह नहीं वे अपने शरीर के बाल भी नहीं हटा सकती। यह सब पढ़कर आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन यह नहीं पता कि एनाबैप्टिज्म क्रिश्चियन चर्च से जुड़ा अमीश समुदाय कब से इन नियमों का पालन कर रहा है।

जिसके कारण समुदाय के अधिकांश लोग आधुनिक युग में भी उसी के अनुसार अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।अमीश समुदाय की महिलाएं अपने बालों को लेकर बाइबिल के नियमों का पालन करती हैं। इसके तहत उन्हें अपने बाल काटने की अनुमति नहीं है। इसके साथ महिलाओं को अपने बालों को बन में बांधकर कपड़े से ढंकना होता है। वह अपने बालों को घर के अंदर ही खोल सकती हैं। अगर महिलाएं अपने बाल काटती हैं।

इसे काफी शर्मनाक माना जाता है।महिलाओं को भी इन नियमों के तहत दाढ़ी बनाने की अनुमति नहीं है। यानी वे अपने शरीर के बाल भी नहीं हटा सकते। इन्हें कवर करने के लिए, अमीश महिलाएं ऐसे कपड़े पहनती हैं, जो अक्सर लंबी आस्तीन और तलवों तक की लंबाई के साथ होते हैं। इसके साथ ही उन्होंने पैरों में डार्क कलर के मोजे पहन रखे हैं।जब बाल धोने की बात आती है तो महिलाओं के लिए कोई विशेष नियम नहीं होते हैं। यानी वे किसी भी तरह के तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अगर वह शेव करती है, तो उसे दंडित किया जा सकता है।ये सभी नियम बहुत सख्त हैं, जिनका समुदाय की महिलाओं को पालन करना चाहिए। हालांकि, समय के साथ इनमें कुछ ढील भी दी गई है। इस धर्म का पालन करने वाली धर्म के कुछ हिस्सों में अमीश महिलाओं को हजामत बनाने से संबंधित छूट है। वहीं अगर किसी के बाल भारी हैं तो उन्हें बालों को पतला करने वाली कंघी का इस्तेमाल करने की इजाजत है, ताकि बन थोड़ा हल्का हो सके।

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