जयपुरी रजाई - 250 ग्राम की होती है ये रजाई, इसकी तीन खासियत हैं सबसे मशहूर

जयपुरी रजाई - 250 ग्राम की होती है ये रजाई, इसकी तीन खासियत हैं सबसे मशहूर

 
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देश में सर्दी ने दस्तक दे दी है। रात को ठंड बढ़ना शुरू हो गई है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ने लगेगी वैसे घरों में रजाई का इस्तेमाल बढ़ने वाला है। जब भी रजाई की बात होती है तब जयपुरी रजाई की भी चर्चा होती है। जयपुर की रजाई काफी फेमस है। हर कोई उन्हें खरीदना पसंद करता है। यह थोड़ी महंगी होती है लेकिन फिर भी इनकी क्वालिटी की वजह से इन्हें लोग खरीदना पसंद करते हैं। 

दो माह में कारोबार पहुंच जाता करोड़ों में

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नवंबर से जनवरी तक प्रतिदिन लगभग 15 -20 हजार रजाइयां बिकती हैं। जयपुरी रजाई का काम 280 साल पुराना है। महाराजा माधो सिंह जी ने जयपुरी रजाई का निर्माण कराया। जिसका वजन केवल 250 ग्राम था। जयपुर के संस्थापक मिर्जा राजा सवाई जयसिंह ने जयपुर को बसाने के बाद विभिन्न कला के शिल्पियों को यहां बसाने का काम किया था। उनमें से एक शिल्पी स्वर्गीय इलाही बक्श था। जिन्होंने राजघराने में रजाइयां बनाने का काम किया था। 

तीन खासियत सबसे मशहूर

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लाइट वेट, लोकल प्रिंट और सिल्की टच। हल्की होने के कारण इन्हें कोरियर से विदेश भेजना आसान होता है। आम रजाई 3 या 4 किलो रुई से भरकर बनाई जाती है। इसमें रजाई का वजन 250 ग्राम से 600 ग्राम तक ही सीमित रहता है। इतनी हल्की होने के बाद भी यह काफी गर्म होती है। 

ये वैरायटी भी बाजार में उपलब्ध

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जयपुरी रजाईया कई रूपों और विशेषताओं के साथ बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें हैंड ब्लॉक बगरू प्रिंटिड, वेलवेट रजाई, कॉटन स्टफ्ड रजाई, मल्टीकलर डुएट रजाई, जयपुरी लहरिया रजाई, ट्रेडिशनल सांगानेरी प्रिंटेड रजाई, जाल प्रिंट रजाई, कॉटल डुएट प्रिंटिड, सांगानेरी गोल्ड प्रिंटिड रजाईयां बहुत पसंद की जाती हैं। आजकल जयपुरी रजाईयों को मॉडर्न प्रिंट के साथ भी पसंद किया जा रहा हैं। ये रजाईयां सिंगल और डबल साइजों में उपलब्ध हैं। 

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