इंदिरा गांधी ने जयपुर की महारानी को भी नहीं बख्शा, उन्हें भी भेज दिया था जेल, राजमाता की गुस्ताखी पड़ी भारी!

26 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के स्टूडियो से इमरजेंसी का ऐलान कर दिया था। इसके बाद से ही जेल में एक से बढ़कर एक हाई प्रोफाइल शख्सीयतों को भेजा जाने लगा। यहां तक कि जयपुर की महारानी भी इससे नहीं बच सकीं।बुधवार का दिन था और तारीख 30 जुलाई थी । उस साल महारानी गायत्री देवी पर बड़ी आफत आ गई थी। देश की सबसे अमीर हस्तियों में से एक महारानी गायत्री देवी को गिरफ्तार किया गया। यह खबर आग की तरह फैल गई ।
गायत्री देवी को इंदिरा गांधी से गुस्ताखी की सजा भुगतनी पड़ी। राजमाता भी करप्शन के आरोपों में गिरफ्तारी हुई ।कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज (Conservation of Foreign Exchange and Prevention of Smuggling Activities) के तहत उन्हें अरेस्ट किया गया। यह गिरफ्तारी आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक थी। तब गायत्री देवी मुखरता से इंदिरा गांधी का विरोध कर रही थी और इसकी सजा उनके खिलाफ सरकारी एजेंसी को खुला छोड़कर दी गई।इमरजेंसी लागू होने के बाद गायत्री देवी की गिरफ्तारी लगभग तय थी।
1962 से संसद में वह जयपुर का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। गायत्री देवी जयप्रकाश नारायण के नक्शेकदम पर चल रही थीं। उस समय जयप्रकाश नारायण इंदिरा गांधी के सामने सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरे थे। उन्होंने इंदिरा सरकार को हटाने के लिए मोर्चा खोल रखा था। जब राजमाता गिरफ्तार हुई थी तब जयप्रकाश जेल में ही थे।
इंदिरा अपने सभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को एक-एक कर जेल पहुंचा रही थी। पहले से आशंका थी कि गायत्री देवी को भी गिरफ्तार किया जाएगा। करप्शन की आड़ में गायत्री देवी को गिरफ्तार किया गया। उन पर टैक्स चोरी का आरोप लगाया गया । कहा गया कि उन्होंने जयपुर के राजमहल में सोने और जेवरातों का बेशकीमती खजाना गाड़ दिया । लेकिन उसी साल फरवरी में टैक्स अधिकारियों ने इसे खोज लेने का दावा किया ।