हमदर्दी होने के बावजूद भी रावण के भाई उनके अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे जानिए क्यों

हर बार की तरह इस बार भी हमारे देश में दशहरा धूमधाम से मनाया जाएगा। यह तो सभी जानते हैं कि दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को लंकापति रावण के कब्जे से मुक्त कराया था। इसलिए इस त्योहार को अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है।आपको बता दें कि रावण के वध से जुड़ी कई मान्यताएं और लोक कथाएं हैं।आपको बता दें कि कुछ लोक कथाओं के अनुसार बताया गया है कि रावण की मृत्यु भगवान राम से युद्ध के बाद हुई थी ।
जिसके बाद रावण की पत्नी को यह जानकर बहुत दुख हुआ कि उसका पति अब जीवित नहीं है। आपको बता दें कि रावण के भाई विभीषण को भी इस बात का दुख था कि उनके भाई की मृत्यु हो गई थी लेकिन विभीषण रावण का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे।जब भगवान राम को इस बात का पता चला तो उन्होंने विभीषण को समझाया कि वह अपने भाई रावण का अंतिम संस्कार करें, क्योंकि रावण उसका भाई होने के साथ-साथ एक बुद्धिमान और ज्ञानी व्यक्ति भी था, इसलिए उसका संस्कार सहित अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए।
राम की ये बातें सुनकर विभीषण ने अपना निर्णय बदल दिया और रावण के अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे।विभीषण ने अंतिम संस्कार करने के लिए सभी आवश्यक चीजें एकत्र कीं। इसके बाद विभीषण ने विधिपूर्वक रावण का अंतिम संस्कार किया।आपको बता दें कि कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार यह भी बताया गया है कि रावण की मृत्यु के बाद जब भगवान राम ने विभीषण को रावण का अंतिम संस्कार करने के लिए कहा तो विभीषण ने मना कर दिया।
इसलिए आज भी यह स्पष्ट नहीं है कि रावण का अंतिम संस्कार किया गया था या नहीं।आपको बता दें कि कुछ लोगों का कहना है कि श्रीलंका में स्थित एक गुफा में आज भी रावण का शव रखा हुआ है।आपको बता दें कि यह गुफा रागला इलाके में है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने उस गुफा में घोर तपस्या की थी। यह गुफा 8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है।