राजस्थान के इस प्राचीन मंदिर की पहाड़ी के पत्थर के नीचे से निकलता था देसी घी,जानिए इसका पूरा रहस्य

राजस्थान के दौसा जिले में एक ऐसी पहाड़ी है, जिस पर कई तरह के दावे किए जाते हैं। मांगा सिद्ध मंदिर दौसा जिले के बांदीकुई अनुमंडल क्षेत्र के बस बिवाई कस्बे की पहाड़ी पर बना है। वहीं इस मंदिर के ऊपर एक बड़ी पत्थर की चट्टान रखी गई है। स्थानीय लोगों का दावा है कि प्राचीन काल में इस चट्टान से देसी घी निकलता था। वहीं चट्टे से निकले घी को रोटियों पर रखकर खाया जाता था।चौंकाने वाली बात यह है कि आज भी इस चट्टान के नीचे चिकनाई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई साल पहले स्थानीय लोग इस पहाड़ी पर मवेशी चराने आते थे और वे चट्टान से निकलने वाले घी से रोटी खाते थे।
कुछ लोगों ने देखा कि आज भी उस जगह पर चर्बी बनी हुई है। इस दौरान देसी घी की महक आ रही थी। बिवाई कस्बे की पहाड़ी पर कई वर्षों से मांगा सिद्ध महाराज का स्थान बना हुआ है। पूर्णिमा के अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त इस पहाड़ी पर पहुंचते हैं और मंगा महाराज को प्रसाद चढ़ाकर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं। स्थानीय निवासी लोकेश शर्मा और अन्य का दावा है कि पहाड़ी पर बड़ी चट्टानें हैं, लेकिन शीर्ष पर सबसे बड़ी चट्टान है। कई साल पहले पहाड़ी देसी घी का उत्पादन करती थी।
वहीं, 60 वर्षीय पुजारी विजय दास महाराज का कहना है कि वह इस चट्टान से निकलने वाले घी से पीपी भरकर गांव ले जाते थे और धार्मिक कार्यक्रमों और अनुष्ठानों में इसका इस्तेमाल करते थे, लेकिन कुछ लोग जो पशुओं को चराता था वह झूठी रोटी देता था। उस स्थान पर रखा गया था। इसके बाद चट्टान से घी आना बंद हो गया। पहाड़ी के चारों ओर करीब डेढ़ से दो किलोमीटर की परिक्रमा होती है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पूर्णिमा के दिन परिक्रमा करते हैं।
इस पहाड़ी की परिक्रमा के नीचे बावड़ी मांडा, अघोरी बाबा, चावंद माता, गिरिराज महाराज, चिन माता, शीतला माता, मसाना बाबा सहित अन्य स्थान आते हैं। पहाड़ी की चोटी पर एक कुआं बना हुआ है। कुएं में अभी भी पानी है, जो पीने के काम आता है। जबकि बड़ी संख्या में भक्त आते हैं, वे इस पानी का ही उपयोग करते हैं। हैरानी की बात यह है कि पहाड़ी की तलहटी में बने दूसरे कुएं का पानी सूख गया है।