सर्दी से बचने के लिए बंद कमरे में अंगीठी जलाना हो सकता है खतरनाक

अगर आप भी सर्दी से बचने के लिए अंगीठी का सहारा ले रहे हैं, तो जरा संभल जाइए क्योंकि बंद कमरे में अंगीठी जलाना जानलेवा हो सकता है. वहीं हीटर और ब्लोअर भी परेशानी का सबब बन सकते हैं। ऐसा करने से जान भी जा सकती है। अलाव जलाने से धुंआ होता है, सामान्यत लोग अपने घरों के कमरों में दरवाजा बंद कर के सोते हैं। इससे कमरे में धुंआ बढऩे से घुटन होती है. दम घुटने से मौत तक हो जाती है। सर्दी के मौसम में ठंढ से बचने के लिए लोग अलाव या अंगीठी जलाते हैैं. जिसे रात में जलता छोड बेखबर सो जाते है।
जानिए क्यों नहीं जलाना चाहिए बंद कमरे में अंगीठी
1. एक्सपर्ट बताते हैं कि कोयले की अंगीठी जलाने सेकार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है। यह जहरीली गैस सांस की नली से अंदर जाने के बाद दिमाग में खून की सप्लाई बाधित कर देती है। इससे दम घुट जाता है या ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है।
2. डॉक्टर सचेत करते हैं कि जिन कमरों में हवा निकले का रास्ता न हो, वहां अंगीठी जलाकर बिलकुल नहीं सोना चाहिए। कई बार लोग कमरा इसलिए बंद कर लेते हैं कि अंगीठी की गर्मी से वो गर्मी बना रहे। लेकिन यह भूल जाते हैं कि कमरे में धुआं भी भरेगा।
3. एक्सपर्ट कहते हैं कि चूल्हा जलाते समय भी घर की खिड़कियां, रौशनदान और दरवाजे खोल कर रखें। इससे कमरे में वेंटिलेशन बना रहेगा। धुएं को निकलने का रास्ता मिलेगा।
4.डॉक्टरों के अनुसार, कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली गैस होती है। जिन जगहों पर कोयला या लकड़ी जल रही हो और वेंटिलेशन का कोई जरिया न हो यानी हवा का कोई रास्ता न हो, वहां सांस लेने पर ऑक्सीजन के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड भी खींचते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाती है। खून में मौजूद RBC, ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है। यह जानलेवा साबित होती है।
5. यह स्थिति ऑक्सीजन की सप्लाई में रोड़ा बनती है। इससे हाईपोक्सिया की नौबत आ जाती है यानी शरीर के ऊतक (टिशू) मरने लगते हैं।