Ajab - हमसे बिल्कुल अलग होगा अंतरिक्ष में जन्मा पहला बच्चा, होगा सिर बड़ा और रंग पारदर्शी

Ajab - हमसे बिल्कुल अलग होगा अंतरिक्ष में जन्मा पहला बच्चा, होगा सिर बड़ा और रंग पारदर्शी

 
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काफी समय से वैज्ञानिक धरती के अलावा दूसरे ग्रहों पर भी जीवन तलाश रहे हैं। ये तभी मुमकिन होगा अगर स्पेस में इंसानी जन्म हो सके। क्या जीरो ग्रैविटी में शिशु जन्म संभव है ? अगर ऐसा हो तो क्या मां सुरक्षित बच पाएगी ?

अंतरिक्ष में इंसानी उपस्थिति बनी हुई है

साल 2000 लेकर अब तक अंतरिक्ष में लगातार इंसानी आवाजाही बनी हुई है। किसी न किसी देश का एक एस्ट्रोनॉट स्पेस में जरूर रहा है। तय हो चुका कि हमारा स्पेस में जाना मुश्किल नहीं लेकिन फिलहाल हम इस नतीजे के आसपास नहीं पहुंचे हैं कि अंतरिक्ष में अगर बच्चे का जन्म हो तो कैसा होगा। 

क्या मुश्किलें आएंगी

अंतरिक्ष में संबंध बनने पर महिला एस्ट्रोनॉट प्रेग्नेंट तो हो सकती है लेकिन स्पेस का एक्सट्रीम वातावरण भ्रूण के साथ खिलवाड़ कर सकता है। ये भी हो सकता है कि जन्म के दौरान ही उसकी मौत हो जाए। इन्हीं वजहों को देखते हुए फिलहाल अंतरिक्ष में संबंध बनाने की इजाजत नहीं है। also readAjab - ये फूल है बड़ा विचित्र , अंदर कपड़े में लिपटा है ‘बच्चा

चूहों पर किया प्रयोग

वैज्ञानिकों ने स्पेस प्रेग्नेंसी से पहले ये जांचने की कोशिश की कि वहां की रेडिएशन का स्पर्म पर क्या असर होता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अपने साथ चूहों के फ्रीज-ड्रायड स्पर्म लेकर गया। 6 साल बाद वापस लाकर धरती पर उन्हें फर्टिलाइज कराया। कुल 168 चूहों के जन्म  के बाद वैज्ञानिकों ने जांच की और पाया कि किसी पर भी रेडिएशन का कोई असर नहीं था। 

स्पेस में प्रेग्नेंसी हो भी जाए तो जीरो-ग्रैविटी सबसे ज्यादा मुश्किल देगी

अंतरिक्ष यात्रियों की बोन डेनसिटी तेजी से घटती है यानी हड्डियां कमजोर पड़ती है। ये प्रक्रिया इतनी तेज है कि अगर आप स्पेस में 6 महीने भी रहे तो 12 प्रतिशत तक बोन डेनसिटी खत्म हो जाएगी। ऐसे में प्रसव के दौरान पेल्विक फ्लोर पर दबाव बढ़ने से गर्भवती की हड्डियां चटखकर टूट सकती हैं या फिर आंतरिक रक्तस्त्राव हो सकता है। पेल्विक फ्लोर शरीर का वो हिस्सा है, जिसमें यूटरस, वजाइना, रेक्टम और ब्लैडर शामिल हैं। 

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