जानिये भगवान को लेकर क्या मानते रहे दुनिया के बड़े वैज्ञानिक

जानिये भगवान को लेकर क्या मानते रहे दुनिया के बड़े वैज्ञानिक

 
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गैलीलियो गैलीली (1564 - 1642) - खगोलशास्त्री और वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीली के इस सिद्धांत को रोमन कैथोलिक चर्च ने गलत बताया था कि पृथ्वी और दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं. बल्कि उन्हें इस खोज के लिए विधर्मी ठहराया गया. गैलीलियो अपनी बात पर अड़े रहे कि उन्होंने जो खोज की, वो एकदम सही है.  गैलीलियो ने ईश्वर के बारे में लिखा, "मैं यह विश्वास करने के लिए बाध्य नहीं हूं कि वही ईश्वर जिसने हमें इंद्रियां, तर्क और बुद्धि प्रदान की है, वो हमसे ये उम्मीद करता है कि हम उस बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करें."

अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955) - 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध भौतिकविदों में एक अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म एक धर्मनिरपेक्ष यहूदी परिवार में हुआ. एक वयस्क के रूप में, उन्होंने "व्यक्तिगत भगवान" के विचार को खारिज करते हुए धार्मिक लेबल से बचने की कोशिश की, हालांकि वह खुद को नास्तिक भी नहीं कहते थे. आइंस्टीन ने एक लेख में ईश्वर के बारे में इस तरह लिखा, "सबसे खूबसूरत चीज जिसे हम अनुभव कर सकते हैं वह रहस्यमय है - हमारे लिए किसी अथाह चीज़ के अस्तित्व का ज्ञान, सबसे शानदार सुंदरता के साथ सबसे गहरे कारण की अभिव्यक्ति. मैं कल्पना नहीं कर सकता एक ईश्वर जो अपनी रचना की वस्तुओं को पुरस्कृत और दंडित करता है या जिसके पास उस तरह की इच्छा है जैसा हम स्वयं में अनुभव करते हैं."

रोज़लिंड फ्रैंकलिन (1920 - 1958) - रोजालिंड फ्रैंकलिन ने एक्स-रे विवर्तन के उपयोग को आगे बढ़ाने में मदद की. उनका जन्म लंदन में एक यहूदी परिवार में हुआ. अपने पिता को लिखे पत्रों में उन्होंने जाहिर किया उन्हें ईश्वर की सत्ता और मृत्यु के बाद के जीवन के अस्तित्व पर गंभीरता से संदेह है. वह ईश्वर को नहीं मानती थीं.

 वेंकटरमन रामकृष्णन (जन्म 1952) - नोबल पुरस्कार प्राप्त साइंटिस्ट वेंकटरमन रामकृष्णन का जन्म भारत के तमिलनाडु के ऐसे शहर में हुआ, जो शिव के प्रसिद्ध मंदिर के लिए जाना जाता है. वह भी धर्म, ज्योतिष जैसी बातों पर सवाल उठाते हैं. उनका मानना ​​है कि ज्योतिषशास्त्र मनुष्यों की "पैटर्न खोजने, सामान्यीकरण करने और विश्वास करने की इच्छा से विकसित हुआ. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अंधविश्वास पर आधारित संस्कृति वैज्ञानिक ज्ञान और तर्कसंगत विचारों पर आधारित संस्कृति से बदतर प्रदर्शन करेगी.''

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सर फ़्रांसिस बेकन (1561 - 1626) - 16वीं सदी सर फ्रांसिस बेकन वैज्ञानिक पद्धति के संस्थापकों के रूप में जाने जाते हैं. बेकन मानते थे कि व्यवस्थित तरीके से डेटा इकट्ठा करना और उसका विश्लेषण करना वैज्ञानिक प्रगति के लिए जरूरी है. वह ईश्वर को मानते थे. बेकन ने लिखा: "भगवान ने नास्तिकता को समझाने के लिए कभी चमत्कार नहीं किया, क्योंकि उनके सामान्य काम ही इसे समझाते हैं. यह सच है, कि थोड़ा सा दर्शन मनुष्य के मन को नास्तिकता की ओर झुकाता है; लेकिन दर्शन की गहराई मनुष्य के मन को धर्म की ओर ले आती है.

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